Book Title: Mantra Maharnav
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Page 650
________________ Shri Maharan Aradhana Kendra www.koba .org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir मं.म. // 31 // तरं०११ d // 5 // ॐ सप्तद्वीपेश्वराय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः॥६॥ इति करन्यासः // ॐ भरताय हृदयाय नमः॥१॥ॐ शंखाय शिरसे स्वाहा // 2 // 7 कैकेयीनंदनाय शिखायै वषट् // 3 // ॐ भरतखंडेश्वराय कवचाय हुम् // 4 // ॐ रामानुजाय नेत्रत्रयाय वौमि तं. लाषट् // 5 // ॐ सप्तद्वीपेश्वराय अस्त्राय फट् // 6 // ॐ रामांशजाय चेति दिग्बंधः // 7 // इति हृदयादिषडंगन्यासः॥ अथ ध्यानम् // d ॐ रामचन्द्रसव्यपार्वे स्थितं केकयजासुतम् // रामाय चामरेणैव वीजयंतं मनोरमम् // 1 // रत्नकुंडलकेयूरकंकणादिसुभूषितम् // पीतांबरपरीधानं वनमालाविराजितम् // 2 // मांडवीधौतचरणं रशनानूपुरान्वितम् // नीलोत्पलदलश्यामं द्विजराजसमाननम् // 3 // आजानुबाहुं भरतखंडस्य प्रतिपालकम् // रामानुजं स्मितास्यं च शत्रुघ्नपरिवंदितम् // 4 // रामन्यस्तेक्षणं सौम्यं विद्युत्पुंजसमप्रभम् // रामभक्तं महावीरं वंदे तं भरतं शुभम्॥५॥एवं ध्यात्वा तु भरतं रामपादेक्षणं हृदि // कवचं पठनीयं हि भरतस्येदमुत्तमम् ॥६॥ॐ पूर्वतो भरतः पातु दक्षिणे कैकयीमुतः // नृपात्मजः प्रतीच्यां हि पातूदीच्यां रघूत्तमः // 1 // अधः पातु श्यामलागयोर्ध्व दशरथात्मजः // मध्ये भरतवर्षेशः सर्वतः सूर्यवशंजः॥२॥ शिरस्तक्षपिता पातु भालं पातु हरिप्रियः // भ्रुवामध्यं जनकजावाक्यैकतत्परोऽवतु // 3 // पातु जनकजामाता मम नेत्रे सदाऽत्र हि // कपोलौ मांडवीकांतः कर्णमूले स्मिताननः // 4 // नासा मे सदा पातु कैकेयीतोष वर्द्धनः // उदारांगो मुखे पातु वाणीं पातु जटाधरः॥५॥ पातु पुष्करतातो मे जिह्वां दंतान प्रभामयः // चुबुकं वल्कलधरः कंठं पातु // 31 // राननः // 6 // स्कंधो पातु जितारातिर्भुजौ शत्रुघ्नवंदितः॥ करौ कवचधारी च नखान् खनपरोऽवतु // 7 // कुक्षी रामानुजः पातु वक्षः श्रीरामवल्लभः // पार्थे राघवपार्श्वस्थः पातु पृष्ठं सुभाषणः // 8 // जठरं च धनुर्धारी नाभिं शरकरोऽवतु // कटिं पनेक्षणः For Private And Personal use only

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