Book Title: Mantra Maharnav
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Page 672
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir * म. यावत्संभवति वृक्षस्तावत्कालं यथाविधि // 49 // फलपुष्पत्वचामूलं पिष्ट्वा तु तिलकं यदि // इन्द्ररूपं भवेत्तस्य सहस्रनयनैयुतम् पू० खं• // 32 // / // 50 // तत्र मंत्रः // “ॐ नमो महापंखेश सहस्राक्षिरूपं कुरुकुरु स्वाहा॥” उक्तयोगानामयं मंत्रः // अष्टोत्तरशतजपैः सिद्धिः मि. तं. अन्यत् // पक्षिराजशिखायुक्तं हरितालं मनःशिला // वटीं कृत्वा प्रयत्नेन मंत्रेण चाभिमंत्रयेत् // 51 // अष्टोत्तरशतवारं सिद्धो भवति / तां वटीम् // अंजयेन्नेत्रयुगुले रात्रौ पठति पुस्तकम् // 52 // उलूकस्य कपालेन वृतेन सह कज्जलम् // तेन नेत्रांजनं कृत्वा रात्रौ। पठति पुस्तकम् // 53 // तत्र मंत्रः // "ॐ नमो महापंखेश रात्रौरात्रौ दर्शय स्वाहा // " उक्तयोगानामयं मंत्रः / / अष्टोत्तरशतजपैः सिद्धिः // अन्यत् // “उलूकचक्षुरादाय कुंकुम रोचनं शशी / / समांसं मधुना पिष्वा अंजनं भूनिधि दिशेत् // 54 // तत्र मंत्रः // "ॐ| नमो महापंखेश भूनिधिं दर्शय 2 ठाठः स्वाहा॥” उक्तयोगानामयं मंत्रः॥अष्टोत्तरशतजपैः सिद्धिः॥अन्यत् // “उलूकदक्षिणं पक्षं सित सूत्रेण वेष्टयेत् // बन्धयेद्वामकर्णे तु हरत्येकाहिक ज्वरम् // 55 // उल्लूपक्षं गुग्गुलुं च कृष्णवस्त्रेण वेष्टयेत् / / वर्ति कृत्वा प्रयत्नेन घृतेन सह कजलम् // 56 // चातुर्थिकज्वरशांतिरंजनेन कतेन वै // महाश्चर्यमिदं ज्ञेयं नान्यथा शंकरोदितम् // 57 // उल्लू विष्ठां गृहीत्वा तु गुंजामात्रेण वै नरः॥ ताम्बूले भक्षिता सा तु सर्वज्वरविनाशकत // 58 // तत्र मंत्रः // “ॐ नमो महापंखेश ज्वरं नाशयनाशय स्वाहा // " उक्तयोगानामयं मंत्रः // अष्टोत्तरशतजपैःसिद्धिः // अन्यत् // "उल्लूमांसं गृहीत्वा d // 32 // तु च्छाया शुष्कं तु कारयेत् // धूपं दत्त्वा प्रयत्नेन भूतबाधा विनश्यति // 59 // तत्र मंत्रः // “ॐ नमो महापं / खश भूतबाधां नाशयनाशय स्वाहा // " उक्त योगस्यायमंत्रः // अष्टोत्तरशतजपरस्य सिद्धिः // इति भूतबाधामंत्रप्रयोगः // For Private And Personal Use Only

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