Book Title: Mantra Maharnav
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir अथ गरुडपृजनयन्त्रम्. देवः परामृतरसप्रियः॥ अनुज्ञां देहि गरुड परिवारार्चनाय मे॥१॥” इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् // इत्याज्ञां गृहीत्वा आवरणपूजामारभेत् / / ततः षट्कोणकेसरेषु आग्नेय्यादिचतुर्दिक्षु मध्ये दिक्षु च // ॐ ज्वल ज्वल महामते स्वाहा // हृदयश्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः // इति सर्वत्र // 1 // ॐ गरुडचूडानने स्वाही शिरः श्रीपा० // 2 // ॐ गरुडशिखे स्वाहा / शिखाश्रीपा० // 3 // ॐ गरुड प्रभंजय 2 प्रो Hदय 2 त्रासय 2 विमर्दय 2 स्वाही / वर्मश्री० // 4 // ॐ उग्ररूपधर सर्वविषहर भीषय 2 सर्व दहरभस्मीकुरु 2 स्वाहा / नेत्रश्रीपा०॥५॥ ॐ अप्रतिहतबलाप्रतिहतशासन हुं फट् स्वाहा / अस्वश्रीपा० // 6 // इति पडंगानि पूजयेत् // ततः पुष्पांजलिमादाय मूलमुच्चार्य अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल // भक्त्या समर्पये तुज्यं प्रथमा वरणार्चनम् // 3 // " इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा पूजितास्तपिताः संतु इति वदेत् // इति प्रथमावरणम् // 1 // क्षिप ॐस्वाहा। For Private And Personal Use Only

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