Book Title: Mantra Maharnav
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir धा शः सक्थिनी सत्यविक्रमः॥ ऊरू शार्ङ्गधरः पातु जानुनी हनुमाप्रियः॥२॥ जंध पातु जगद्व्यापी पादौ मे ताडिकांतकः // सर्वांगं पातु मे विष्णुः सर्वसंधाननामयः॥ 10 // ज्ञानेन्द्रियाणि प्राणादीन् पातु मे मधुसूदनः / / पातु श्रीरामभद्रो मे शब्दादीन्विष / यानपि // 11 // द्विपदादीनि भूतानि मत्संबंधीनि यानि च // जामदग्न्यमहादर्पदलनः पातु तानि मे // 12 // सौमित्रिपूर्वजः पातु वागादीनीन्द्रियाणि च // रोमांकुराण्यशेषाणि पातु सुग्रीवराज्यदः / / 13 // वाङ्मनोबुद्धयहंकारर्ज्ञानाज्ञानकतानि च // जन्मांतरकर तानीह पापानि विविधानि च // 14 तानि सर्वाणि दग्ध्वाशु हरकोदण्डखण्डनः // पातु मां सर्वतो रामः शान्बिाणधरः सदा // 15 // इति श्रीरामचंद्रस्य कवचं वज्रसंमितम् // गुह्याद्गुह्यतमं दिव्यं सुतीक्ष्ण मुनिसत्तम / / 16 // यः पठेच्छृणुयाद्वापि श्रावयेद्वा समाहितः॥ Mस याति परमं स्थानं रामचन्द्रप्रसादतः / / 17 / / महापातकयुत्तो वा गोनो वा भ्रूणहा तथा / / श्रीरामचन्द्रकवचपठनाच्छुद्धिमाप्नु यात् / / 18 // ब्रह्महत्यादिभिः पापैर्मुच्यते नात्र संशयः // भोसुतीक्ष्ण यथा पृष्टं त्वया मम पुरा शुभम् // तथा श्रीरामकवचं - मया ते विनिवेदितम् // 19 // इति श्रीमदानन्दरामायणे मनोहरकांडे मुतीक्ष्णागस्त्यसंवादे श्रीरामकवचं समानम् // एवं षट् कवचान्यत्र पठनीयानि सर्वदा // पठनं षट्कवचानां श्रेष्ठं मोक्षैकसाधनम् // इति श्रीहनुमदादिषट्कवचप्रयोगः समाप्तः // 6 // अथ हरिवाहनगरुडमंत्रप्रयोगः॥ (मंत्रमहोदधौ )मंत्रो यथा-"क्षिप ॐ स्वाहा” इति पंचाक्षरो मंत्रः ॥अस्य मंत्रस्य अनंत ऋषिः। पंक्तिच्छंदः / पक्षीन्द्रो देवता / ॐ बीजम् / स्वाहा शक्तिः। ममाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥ॐ अनंतऋषये नमः / शिरसि // 1 // पंक्तिच्छंदसे नमः / मुखे // 2 // पक्षींद्रदेवतायै नमः / हृदि // 3 // ॐ बीजाय नमः / गुह्ये // 4 // स्वाहाशनाये नमः / पादयोः॥५॥ For Private And Personal Use Only

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