Book Title: Mantra Maharnav
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Page 655
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatram.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir सात्त्विकी पातु पातु वक्रं तु राजसी // 12 // तामसी पातु मदाणी पातु जिह्वां पतिव्रता // दंतान् पातु महामाया चिबुकं कनकप्रभा // 13 // पातु कंठं सौम्यरूपा स्कंधौ पातु सुरार्चिता // भुजौ पातु वरारोहा करौ कंकणमंडिता // 14 // नखान रक्तनखा पात कुक्षौ पातु लघुदरा // वक्षः पातु रामपत्नी पार्वे रावणमोहिनी // 15 // पृष्ठदेशे वह्निगुप्ताऽवतु मां सर्वदेव हि // दिव्यप्रदा पातु नानिं कर्टि राक्षसमोहिनी // 16 // गुह्यं पातु रत्नगुप्ता लिंगं पातु हरिप्रिया // ऊरू रक्षतु रंजोरूर्जानुनी प्रियभाषिणी // 17 // जंघे पात सदा सञ्चगुल्फो चामरवीजिता // पादौ लवमुता पातु पात्वंगानि कुशांबिका // 18 // पादांगुलीः सदा पातु मम नपुरनिःस्वना॥ रोमाण्यवत मे नित्यं पीतकोशेयवासिनी॥१९॥रात्रौ पातु कालरूपा दिने दानकतत्परा॥सर्वकालेषु मां पातु मूलकामुरघातिनी॥२०॥ एवं सुतीक्ष्ण सीतायाः कवचं ते मयेरितम् // इदं प्रातः समुत्थाय स्नात्वा नित्यं पठेत्पुनः // 21 // जानकी पूजयित्वा स सर्वान्कामा नवामयात् // धनार्थी प्राप्नुयाद्रव्यं पुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात् // 22 // स्त्रीकामार्थी शुभां नारी सुखार्थी सौख्यमाप्नुयात् // अष्टवारं जापनीयं सीतायाः कवचं सदा // 23 // अष्टभूसुरसीतायै नरैः पीत्यार्पयेत्सदा // फलपुष्पादिकादीनि यानि तानि पृथक्पृथक् // 24 // सीतायाः कवचं चेदं पुण्यं पातकनाशनम् // ये पठंति नरा भक्त्या ते धन्या मानवा भुवि // 25 // पठंति रामकवचं सीतायाः कवचं विना // तथा विना लक्ष्मणस्य कवचेन वृथा स्मृतम् // 26 // इति श्रीमदानंदरामायणे मनोहर कांडे सुतीक्ष्णागस्त्यसंवादे श्रीसीतायाः कवचं समाप्तम् // 5 // अथ श्रीरामकवचप्रारंभः // "आजानुबाहुमरविंदद लायताक्षमाजन्मशुद्धरसहासमुखप्रसादम् // श्यामं गृहीतशरचापमुदाररूपं रामं सराममभिराममनुस्मरामि ॥१॥"अस्य श्रीराम . 5 For Private And Personal Use Only

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