Book Title: Mantra Maharnav
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Page 654
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir म. म. // 312 // तरंगा ॐ ह्रां सीतायै अंगुष्ठाभ्यां नमः // 1 // ॐ ह्रीं रमाये तर्जनीभ्यां नमः॥२॥ॐ हूं जनकजायै मध्यमाभ्यां नमः // 3 // ॐ हैं। पू० खं०१ अवनिजाये अनामिकाायां नमः॥४॥ ॐ ह्रौं पद्माक्षसुताय कनिष्ठिकान्यां नमः // 5 // ॐ ह्रः मातुलिंग्यै करतलकरपृष्ठाभ्यां मि० 0 नमः॥६॥ इति करन्यासः // ॐ ह्रां सीतायै हृदयाय नमः // 1 // ॐ ह्रीं रमायै शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ हूं जनकजायै शिखायै वषट् // 3 // ॐ हैं अवनिजाये कवचाय हुम् // 4 // ॐ ह्रौं पद्माक्षसुतायै नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // ॐ ह्रः मातुलिंग्य। अस्वाय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // अथ ध्यानम् // "ॐ सीतां कमलपत्राक्षी विद्युत्जसमप्रभाम् // द्विभुजां सुकुमा रांगी पीतकौशेयवासिनीम् // 1 // सिंहासने रामचन्द्रवामभागस्थितां वराम् / / नानालंकारसंयुक्तां कुंडलव्यधारिणीम् | d // 2 // चूडाकंकणकेयूररशनानपुरान्विताम् // सीमन्ते रविचन्द्राायां निटिले तिलकेन च // 3 // नूपुराभरणेनापि घाणेऽतिशोभितां शुभाम् // हरिद्रां कजलं दिव्यं कुंकुमं कुसुमानि च // 4 // विनती सुरभिद्रव्यं सुगंधस्नेहमुत्तमम् // स्मितान नां गौरवर्णी मंदारकुसुमं करे // 5 // विनतीमपरे हस्ते मातुलिंगमनुत्तमम् // रम्यहासां च बिंबोष्ठी चन्द्रवाहनलोचनाम् ॥६॥क लानाथसमानास्यां कलकंठमनोरमाम् // मातुलिंगोद्भवां देवीं पद्माक्षदुहितां शुभाम् // 7 // मैथिली रामदयितां दासीभिः पार्रवीजिता म् // एवं ध्यात्वा जनकजां हेमकुंभपयोधराम् // 8 // श्रीसीता पूर्वतः पातु दक्षिणेऽवतु जानकी // प्रतीच्यां पातु वैदेही पातूदीच्या च मैथिली // 9 // अधः पातु मातुलिंगी ऊर्ध्व पद्माक्षजाऽवतु // मध्येऽवनिमुता पातु सर्वतः पातु मां रमा // 10 // स्मितानना शिरः पातु पातु भालं नृपात्मजा // पद्माऽवतु वोर्मध्ये मृगाक्षी नयनेऽवतु // 11 // कपोले कर्णमूले च पातु श्रीरामवल्लभा // नासायं // 312 For Private And Personal Use Only

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