Book Title: Mantra Maharnav
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________________ She avrain Aradhana Kendra www.bat.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir पायसेन पिंडं कृत्वा गंधाक्षतपुष्पैः संपूज्य दीपं निधाय “ॐ यूं शहीं कुक्कुट कुक्कुट एोहि इमं बलिं गृह 2 गृहापय सर्वकामान्देहि यहींयूं नमः कुक्कुटाय” इति मंत्रण निवेदयेत् // इति बलि दत्त्वा हस्तो पादौ प्रक्षाल्य पुनर्ध्यात्वा जपं कुर्यात् // अस्य पुरश्चरणं / लक्षं जपः / तिलाज्येन दशांशतो होमः / तत्तदशांशन तर्पणमार्जनब्राह्मणभोजनं च कुर्यात् / एवं कते मंत्रः सिद्धो भवति / सिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयोगान् साधयेत्॥तथा च-"एवं ध्यात्वा समासीनः शैलाये सरितस्तटे // वृषशून्ये पश्चिमास्थे यदा शंकरसद्मनि // 1 // शैवे पीठे यजेताम्रचूडं गौरीकरस्थितम् // लक्षं क्षपेद्दशांशेन तिलैहवनमाचरेत् // 2 // एवं कृते प्रयोगाहों जायते मंत्रनायकः / / प्रयोगादौ जप्योसावयुतं द्विशताधिकम् // 3 // दना क्षीरेण मधुना चंद्रेण सितयान्वितैः // दद्याद्वलि सतांबलेः पायसैबलिमंत्रतः // 4 // भोजनादी भोजनांते लक्ष्मीसंप्राप्तये सुधीः // बलिमेतत्प्रदायाथ कुर्वे रोधननाथताम् // शांती पुष्टावपि बलिमेतमेव प्रदापयेत् // 5 // MR अन्न राजैस्विमधुरोपेतैर्द यद् बलिं निशि // वशयेदखिलं विश्वं त्रिदिनं चोदनैपः // 6 // " अन्यत् // "दुग्धमिश्रितगोधूमपिटैः कुर्यादपूपकम् // आज्यकर्पूरयुक्तेन तेन दद्याद्वलिं निशि // व्यहमेवं बलौ दत्ते सुखी स्याशयेज्जगत्॥७॥" अन्यत् // "करवीरैपिल्व पत्रः पीतपुष्पैः सुगंधिभिः // सहस्रसंख्यः प्रत्येकं पूजयित्वा जपेन्मनुम् // 8 // सहस्रं निशि सप्ताह यमुद्दिश्य जनं सुधीः // स याति दासतां तस्य मनोवचनमकर्मभिः // 9 // " अन्यत् ॥"छागलावकयोर्मासैः समाहं वितरेदलिम् // सहस्रं प्रत्यहं जप्त्वा बशयेदखिलं जगत् // 10 // नृपोत्थिते सपत्नोत्थे भये जाते च संकटे|आपद्यपि तथान्यस्यां बलिं दद्यात् सुखाप्तये // गोपनीयो विधिरयं बलेः 1 ओदनखिदिनं बलिं दत्त्वा नृपं वशयेत् / For Private And Personal Use Only

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