Book Title: Mantra Maharnav
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Page 645
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir www.kobalrm.org पृष्ठाभ्यां नमः॥ 6 // इति करन्यासः // ॐ ह्रां अंजनीसुताय हृदयाय नमः // 1 // ॐ ह्रीं रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ। हूं रामदूताय शिखायै वषट् // 3 // ॐ हैं वायुपुत्राय कवचाय हुम् // 4 // ॐ ह्रौं अग्निगर्भाय नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // ॐ ह्रः ब्रह्मास्त्रनिवारणाय अखाय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // अथ ध्यानम् // "ध्यायेद्वालदिवाकरद्युतिनिभं देवारिदपपिहं / देवेंद्रप्रमुखं प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं रुचा // सुग्रीवादिसमस्तवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियं संरक्तारुणलोचनं पवनजं पीतांबरालंकतम् // 1 // उयन्मार्तडकोटिप्रकटरुचियुतं चारुवीरासनस्थं मौंजीयज्ञोपवीताभरणरुचिशिखं शोभित कुण्डलांकम् // भक्तानामिष्टदं तं प्रगतमुनिजनं| वेदनादप्रमोदं ध्यायेद्देवं विधेयं प्लवगकुलपति गोष्पदीभूतवार्षिम्॥२॥वज्रांग पिंगकेशाढ्यं स्वर्गकुंडलमंडितम्॥ निगूढमुपसंगम्य पारावारप राकमम्॥३॥स्फटिकाभं स्वर्णकांतिं द्विभुजं च कृतांजलिम् // कुंडलव्यसंशोभिमुखांभोजं हरिं भजे॥४॥सव्यहस्ते गदायुक्तं वामहस्त कमंडलुम्॥उद्यद्दक्षिणदोडं हनूमंतं विचिंतयेत्॥५॥"अथ मंत्रः॥"ॐ नमो हनुमते शोभिताननाय यशोलंकृताय अंजनीगर्भसंभूताय राम लक्ष्मणानन्दकाय कपिसैन्यप्रकाशनपर्वतोत्पाटनाय सुग्रीवसाह्यकरणपरोच्चाटनकुमारब्रह्मचर्यगंभीरशब्दोदय ॐ ह्रीं सर्वदुष्टग्रहनिवारणाय , स्वाहा ॥"ॐ नमो हनुमते एहिएहिएहि सर्वग्रहभूतानां शाकिनीडाकिनीनां विषमष्टानां सर्वेषामाकर्षयाकर्षय मर्दयमर्दय छेदयच्छेदय मान्मारयमारय शोषय २प्रज्वल २भूतमण्डलपिशाचमण्डलनिरसनाय भूतज्वरप्रेतज्वरचातुर्थिकज्वरब्रह्मराक्षसपिशाचच्छेदनक्रियाविष्णु ज्वरमहेशज्वरान् छिंधिच्छिधि भिंधिभिंधि अक्षिशूले शिरोत्यंतरे ह्यक्षिशूले गुल्मशूले पित्नशूले ब्रह्मराक्षसकुलप्रबलनागकुलविनिविषझटिति / / २ॐ ह्रीं फट घेघे स्वाहा॥""ॐ नमो हनुमते पवनपुत्रवैश्वानरमुखपापदृष्टिपोटादृष्टिहनुमते का आज्ञा फुरे स्वाहा" स्वगृहे द्वारे पट्टके तिष्ठ, For Private And Personal Use Only

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