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संपादकीय
मुनि धनंजयकुमार
महावीर इस धरती पर आए जन्म-मरण के बंधन तोड़ मक्ति को उपलब्ध हो गए। पुनर्जन्म उसका होता है, जो मुक्त नहीं है जो मुक्त है, वह कभी जन्मता नहीं है। क्या इस नियम के अपवाद हैं महावीर? क्या संभव है महावीर का पुनर्जन्म/अवतरण? दग्ध कर्म-बीज का अंकुरण? आज कहां हैं महावीर? कैसे संभव है उनका पुनर्जन्म? स्चाभाविक है यह प्रश्न विस्मित मन/स्तब्ध चिन्तन। ० महाप्रज्ञ कहते हैं
'महावीर एक मर्त्य हैं, दृष्टिकोण और सत्य हैं। मानव मरता है, दृष्टिकोण और सत्य नहीं। महावीर अमर हैं सतत प्रभास्वर हैं विचार और चिन्तन के क्षितिज पर जगमगाता प्रदीप दीप है समस्या की गहन तमिस्रा में लगता है-रवि समीप है। प्रश्न शाश्वत है या सामयिक वैज्ञानिक है या दार्शनिक व्यक्ति का है या समष्टि का पृथ्वी का है या अंतरिक्ष का देता है प्रत्येक प्रश्न महावीर को नवजीवन जब करते हैं महावीर उसका निदान/ समाधान। जब तक रहेंगे प्रश्न समस्या और उलझन तब तक महावीर भी प्रासंगिक
और इसी प्रासंगिकता की कोख से जन्म लेता है हर दिन हर पल एक नया महावीर जो हरता है पीर
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