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४४१ ४४६ ४५० ४५६ ४६४ ४७० ४७६ ४८२
७२. यह रास्ता है दुःख के अलविदा का ७३. पहले कौन? ७४. क्या कुंजी पास में है? ७५. त्याग है दुःख से बचने के लिए ७६. यह प्यास पानी से नहीं बुझती ७७. कर्मवाद ७८. कर्म की प्रकृतियां ७६. कर्म : विपाक और स्थिति २०. लेश्या : भावधारा ८१. लेश्या सिद्धान्त : ऐतिहासिक अवलोकन ८२. लेश्या और रंग ८३. लेश्या : पौद्गलिक है या चैतसिक? ८४. लेश्या : गंध, रस और स्पर्श ८५. जैन मुनि और व्यावसायिक वृत्ति ८६. जीव और अजीव का द्विवेणी संगम ८७. धर्म की सार्वभौमिकता ५८. पांच भावनाएं
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