Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1977
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 9
________________ सेठ मूलचन्द सोनी मार्ग अनोप चौक, अजमेर 3-3-77 श्रीयुत् बाबूलालजी सेठी ___मंत्री, राजस्थान जैन सभा, जयपुर सादर जयजिनेन्द्र ! आपका कृपा पत्र मिला। आप प्रागामी श्री महावीर जयन्ती के पुण्य पर्व पर जयन्ती स्मारिका का प्रकाशन कर रहे हैं, यह प्रबगत कर हार्दिक प्रसन्नता हुई। भगवान महावीर स्वामी के विश्व हितैषी उपदेशों के प्रसारार्थ स्मारिका प्रकाशन का प्रयास श्लाघनीय है । वीर प्रभु की देशना का पुण्य लाभ जनसाधारण को अधिकाधिक मिले, यह स्मारिका का लक्ष्य होना चाहिये । सत्य, अहिंसा, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की पुण्य सलिला में जन-मन निमग्न हो, यह प्रथमतः प्रावश्यक है। क्योंकि समग्न हितैषी उक्त सिद्धान्त सार्वजनीन दृष्टि से विश्व मंच पर स्वीकारे जा चुके हैं। विश्वास है आपके सप्रयास में उक्त भावना का समाबेश होगा । सुष्ठु प्रकाशन के लिये हार्दिक शुभकामनाएं । पापका -भागचन्द सोनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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