Book Title: Mahavira Charit
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 13
________________ तैमां तेना पूर्वभवना बनावनां चित्र कराव. एटले भीले जे रीते हंसने बाणवडे घायल कर्यो, हजी हंस जीवतो हतो छतां तेनी प्रणयिनी हंसी मरी गई वगेरे बनावोनुं चित्र कराव अने एम करावीने ए चित्रफलक आ मंखना हाथमां आप अने तेने कहे के तुं आ चित्रफलक लईने गाम, नगर वगेरे स्थानोमा भम्या कर. एम करवाथी संभव छे के भाग्ययोगे तेना पूर्वभवनी स्त्री जो मनुष्य अवतारधारी स्त्री थई हशे तो आ छोकराना हाथमा रहेलुं चित्रनुं पाटियुं जोई तेमां चितरेल भीलना बाणथी घायल थयेलो हंस, तेना जीवतां तेनी प्रिय हंसलीनुं मरण वगेरे भावोने जोवाथी तेने (स्त्रीने) जातिस्मरण ज्ञान थाय अने एम थवाथी ते स्त्रीनी साथे आ छोकरानो समागम थई जाय. आवा बनावो पूर्वे पण बनेला छे एवं पुराणोमां अने आगमोमां आवती कथाओ सांभळवा उपरथी जाणी शकाय छे. आम करवाथी आ छोकरो पोताना ए पूर्वभवनी स्त्री मळी जवानी आशामां वळी केटलाक दिवस जीवी जाय. केशवे ए वृद्धनी आ बात सांभळीने कह्यु के तमारी बुद्धिने धन्य छे, धन्य छे. [पृ० ५] अनुभवी पुरुष सिवाय बीजो कोण आवी वात कही शके अने आ प्रकारना विषम अर्थनो निर्णय पण करी शके ? ___केशवे ए वृद्धपुरुष, अभिनन्दन करीने एणे कहेली ए बधी बात पोताना पुत्र मखने फरी संभळावी. वात सांभळीने मंखे पिताने कó- तात! एमां शुं अयुक्त छे ? चित्रनुं पाटियुं जलदी तैयार करावो. कुविकल्पना तरंगोने लीधे व्याकुल थयेला चित्तनी शांति माटे कदाच आ उपाय ज काम लागे. पछी ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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