Book Title: Mahavira Charit
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad
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हवे कोई दिवसे देशांतरथी कोई अनुभवी वृद्धपुरुष आव्यो अने केशवने घरे ज ऊतो. ए वृद्धपुरुषे मंखने जोयो अने पासे बेठेला तेना पिता केशवने मंखनी आवी हालत विशे पूछयु-हे भद्र ! आ तारो पुत्र हजु तो जुवान छे अने रोग वगेरेना उपद्रवथी मुक्त छे छतांय जाणे ए सशल्य होय एवो केम देखाय छे ? केशवे पोताना पुत्रनी आवी हालत थवानुं कारण कही बताव्यु. वृद्धे कह्यु--तमे आना दोषना निवारण माटे कोई पण प्रतीकार कर्यो ? केशवे कह्य-सारामां सारा एवा मन्त्रतन्त्रवादीओने बोलावेला अने तेओए आने जोईने उपचार पण करेलो छतां कशो फेर पड्यो नथी. वृद्ध पुरुषे कह्यु-आ अंगे तमे करेलो आ बधो प्रयास निरर्थक छे. ते बिचारा मंत्रतन्त्रवादीओ प्रेमग्रहना वळगाडने केम करीने दूर करी शकवाना हता ?
साभळभयंकर झेरी नागना झेरथी पेदा थयेल वेदनाने पण शांत करवा जेओ समर्थ कुशळ छे, सिंह, गांडो हाथी अने राक्षसीने पण जेओ थंभावी शके छे. १. __भूतना वळगाडी पेदा थयेल उपद्रवने पण जेओ दूर करी शके छे ते पण ते बधा उत्तम वैद्यो होवा छतां प्रेमना वळगाडने लीधे परवश पडेला हृदयने साजु-निरोगी-करी शकता नथी. २.
केशवे का-त्यारे हवे तमे ज कहो के आनो शो उपाय करवो? वृद्ध-मने पूछतो हो तो तने खरेखरी वात कही दउर्छ के आ छोकरो ज्यां सुधी कामनी दशमी दशा सुधी पहाँच्यो नथी त्यां सुधी ज तेनो उपाय शक्य छे. तुं आने माटे एक चित्रफलक तैयार कराव अने
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