Book Title: Mahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 8
________________ और राग के रेशमी जाल से बाहर निकलने की। उनका मानना है कि अगर अंतर प्रकाशित हो गया तो व्यक्ति कभी बाहर के अंधकार में नहीं भटक सकता और यही धर्म का वास्तविक स्वरूप है। इसके लिए भी वे अध्यात्म के मैनेजमेन्ट के गुर देते हैं और आत्मज्ञान का रास्ता साफ़ करते हैं। आध्यात्मिक प्रबंधन की बात करते हुए वे कहते हैं चौबीस घंटे में से व्यक्ति स्वयं के लिए दो घड़ी वक़्त निकाले और इसमें ध्यान-साधना का अभ्यास करे । जीवन में धर्म को कैसे मैनेज़ किया जाए प्रस्तुत पुस्तक बखूबी बताएगी। जब गुरु स्वयं चिकित्सक बनेंगे तभी आत्मा की पीड़ा मिट सकेगी। गुरु वही है जो रूढ़ियों से धर्म को मुक्ति दिलाकर जनसामान्य को उसमें डुबाने की सामर्थ्य रखे और श्रद्धेय श्री चन्द्रप्रभ ने यह कार्य खूबसूरती से किया है। उन्हें पता है कि रूढ़ियाँ विकास को अवरुद्ध कर देती हैं। जीवन के साथ जिसका सीधा संबंध हो वही तो धर्म है। धर्म तो जीवन में व्याप्त होना ही चाहिए लेकिन कौनसा और कैसा धर्म ? इसका प्रतिपादन करते हुए श्री चन्द्रप्रभ ने कहा - जो सहज हो और जिसे जीवन में आचरित किया जा सके वही धर्म है। महावीर की वाणी को आधुनिक संदर्भ देते हुए श्री चन्द्रप्रभ ने उन्हीं तथ्यों को रेखांकित किया है जो कभी स्वयं महावीर ने किए थे। वे कोई कट्टरता नहीं अपनाते, कर्मकांडों से परे रहकर उदारतापूर्वक धर्म को जड़ता से बचाते हुए हमें धार्मिक बना देते हैं। श्री चन्द्रप्रभ का कहना है कि धर्म का सार ज्ञान, ज्ञान का सार संयम और संयम का परिणाम मुक्ति है। हम सभी इसी मुक्ति-पथ के अनुयायी बनकर भगवान की वाणी में डुबकी लगाएँ इसी सद्भावना के साथप्रभुश्री के चरणों में अहोभाव भरे प्रणाम ! - मीरा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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