Book Title: Mahamantra ki Anupreksha
Author(s): Bhadrankarvijay
Publisher: Mangal Prakashan Mandir

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Page 6
________________ अनुक्रम मन का बल मंत्र से विकाशित होता है नमस्कार द्वारा मनोमयकोष को शुद्धि १. २ ३. बुद्धि की निर्मलता एवं सूक्ष्मता ४. नमस्कार सिद्धमंत्र है ' अभेद में अभय एवं भेद में भय ६ नमस्कार मंत्र ही महाक्रिया योग है ७ ऋणमुक्ति का मुख्य सावन नमस्कार राग द्वेष एवं मोह का क्षय ८. ६. निर्वेद एवं संवेग रस १० सेवन हेतु प्रथम भूमिका श्रभय, श्रद्ध ेप, भवेद ११. नमस्कार मंत्र दोष की प्रतिपक्ष भावना १२. इष्ट का प्रमाद एव पूर्णता की प्राप्ति इष्ट तत्त्व की श्रचिन्त्य शक्ति १३ १४ मत्रयोग की सिद्धि १५. श्रमूर्त एव मूर्त के मध्य का सेतु १६ नमस्कार मे सर्व संग्रह १७. प्रारण शक्ति एव मनस्तत्त्व १८. कर्म का निरनुबंध क्षय १६. मोक्षमार्ग मे पुष्टावलम्बन २०. देह का द्रव्यस्वास्थ्य एव श्रात्मा का भावस्वास्थ्य ६] ܐ २ ५. یا ८ १० ११ १२ १४ १५ १६ 2 uw on m १७ १८ ke २० 3 २२

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