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क्यों न आए हों, पर जाना तो हाथ पसारे ही होगा। व्यर्थ के लोभ-लालच, हो-हल्ला छोड़ो। चार दिन की जिंदगी है, इसे खूब प्यार से जीकर जाओ। जीवन बड़ा मूल्यवान है। इसे सब रंगों से भरो। शरीर को स्वस्थ रखो और चित्त को शांतिमय । समाज में हिल-मिलकर रहो और जीवन में धर्म को धारण करो। धरती पर आए हैं तो कुछ फूल खिलाकर जाएँ। हम रहें तो फूलों की तरह महकें और चले जाएँ तो भी कपूर की तरह अपनी सुवास छोड़ जाएँ।
हम यदि सकारात्मक और पोज़िटिव रहेंगे तो हम हर नेगेटिविटी में भी अपनी शांति को बरकरार रख लेंगे, हर नकारात्मकता में भी हम अपनी शांति को अखण्ड रख लेंगे वरना शांति कोई चिड़िया का नाम नहीं है कि जब चाहो उसको बुला लो। यह तो समझ का परिणाम है। सकारात्मकता का, दृष्टि का परिणाम है यह । मेरी समझ से यदि आप सदा पोज़िटिव रहते हैं तो अपने पौने डॉक्टर तो आप ख़ुद हो गए। आपको किसी न्यूरोफ़िजिशियन के पास जाने की ज़रूरत नहीं होगी। जो सदा शांत, सौम्य और सकार उसका मेडिकल बिल सदा निल बट्टा निल रहता है।
जीवन को एक व्यवस्था दीजिए। कर्मयोग अवश्य कीजिए। दिन के चौबीस घंटों में से आठ घंटे मेहनत अवश्य कर लेनी चाहिए। फिर चाहे वे आठ घंटे दिन के हों या रात के। ज़्यादा पैसे के पीछे भी मत दौडो। अपन लोग कोई पैसा कमाने के लिए पैदा नहीं हए हैं। पैसा जीवन के साधनों को बटोरने का एक साधन है। साधन को साधन जितना ही मूल्य दीजिए। साधन को साध्य बना बैठेंगे, तो जीवन दुश्वार होगा ही। ज़्यादा पापड़ मत बेलो। दो, पाँच, दस, अब कीजिए बस। अगर पैसा कमाएँ तो भी ध्यान रखें कि हराम के पैसे पर नज़र न टिकाएँ। बेईमानी का धन कमाकर हम अपनी पत्नी को हीरे की चूड़ियाँ तो पहना देंगे, पर कहीं ऐसा न हो कि हमारे हाथों में लोहे की हथकड़ियाँ लग जाए।
मेरी तो सलाह है कि जीवन को शांति से जिओ, प्रेम से जिओ, नैतिक मूल्यों के साथ जिओ, अच्छे मन से जिओ। अपनी ओर से कोई गलती हो जाए तो सॉरी कह दो और दूसरों से ग़लती हो जाए तो माफ़ करने का बड़प्पन दिखाओ। जीवन में कभी किसी की हाय मत लो। हमसे जो बन जाए सेवा कर दो। वापस कुछ पाने की लालसा मत करो।ईश्वर सदा उनके साथ रहता है जो नेकी करते हैं और भूल जाते हैं।
जीवन में मस्त और आनन्दित रहने की आदत डालो। हर हाल में मस्त रहना, अपने आप में एक बहुत बड़ी साधना है। ईश्वर करे अपन सभी इस साधना में सफल हों।
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