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अपने पास बुलाया और कहा – 'बेटा, एक बात बताओ कि तुम बार-बार जेब से क्या निकालती हो?'
बच्ची ने कहा – 'मेरी जेब में मेरे मम्मी-पापा के चुम्बन भरे हुए हैं। जब मेरे माता-पिता मुझे स्कूल की देहरी पर पहुँचाने के लिए आते हैं तो मैं मम्मी-पापा के दोनों हाथों का चुम्बन लेती हूँ और मम्मी-पापा मेरे दोनों हाथों का चुम्बन लिया करते हैं। उन चुम्बनों को मैं अपनी जेब में डाल लेती हूँ और मेरे मम्मी-पापा अपनी जेबों में मेरा चुम्बन लेकर चले जाते हैं। जब मम्मी-पापा को मेरी याद आती है तो वे भी अपनी जेब से निकाल कर मेरा चुम्बन ले लेते हैं। मुझे मम्मी-पापा की याद आती है, तो मैं भी अपनी जेब में हाथ डालती हूँ और प्यार से चुम्बन ले लेती हूँ।'
अहा, जीवन के प्रति कितना सुन्दर भाव है ! सम्बन्धों के प्रति कितना सकारात्मक भाव! जो लोग इस तरह से अपने जीवन को ढाल लेते हैं वे किसी से अलग होकर भी अलग नहीं होते। मेरे प्रभु, आज की समस्या जितनी पारिवारिक या सामाजिक है, उससे कहीं ज़्यादा वह मानसिक है। निराशा, चिन्ता, क्रोध, हताशा आदमी की समस्या है। असफलता मिलने के बाद हीनभावना से ग्रस्त हो जाना आज के आदमी की आम समस्या है। सास के साथ रहना बहू की समस्या नहीं है, पर सास के द्वारा डाँट-डपट खा लेने के बाद बहू के मन पर जो बीतती है, वह बीतना ही उसकी अपनी समस्या है।
बेटा, बाप के साथ रहे, बाप बेटे के साथ रहे। इसमें कोई समस्या नहीं है, पर एक दूसरे को न समझ पाना यही आज की समस्या है।
जिस व्यक्ति के मन में हताशा है वह व्यक्ति बूढ़ा है। पचपन की उम्र में हताशा आ जाना अस्वाभाविक नहीं है। इस उम्र में भी व्यक्ति उत्साह भरा हुआ रहे तो वह पचपन का होकर भी पचपन का नहीं होता। उम्र की दहलीज़ भले ही पचपन की क्यों न हो जाए पर आदमी का अंतरमन तो बचपन का ही बना हुआ रहा करता है। इसलिए अपने मन को मज़बूत करें।
शरीर दुर्बल या विकलांग है तो चल जाएगा, मगर अपने मनोबल के चलते नेत्रहीन कहलाने वाले रवीन्द्र जैन भी संगीत के इतिहास के मील के पत्थर बन गए हैं। बहरे बिथोवन भी संगीत के क्षेत्र में अद्भुत एलबम के रचनाकार के रूप में मशहूर हुए हैं। हेलर केलर ने तो अंधी, बहरी और गूंगी होते हुए भी वे कारनामे कर दिखाए कि उसका सृजन करने वाला विधाता भी गौरव कर सके। जे. के. रोलिंग के जीवन में दुःख और गरीबी थी; न पति, न पैसा। सिर्फ एक बच्ची और लोगों द्वारा अपमान ! उसने हैरी पॉटर एंड फिलॉस्फर्स स्टोन की थीम पर एक उपन्यास लिखा जिसे कोई भी छापने के लिए
LIFE
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