Book Title: Life ho to Aisi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 129
________________ (1) दूसरों की भूलों को माफ कर दो। (2) दूसरों को गले लगा लो। (3) हर हालत में दूसरों का सम्मान करना सीखो। सम्मान लेने की नहीं बल्कि देने की चीज़ है। फूलों का हार ख़ुद मत पहनो क्योंकि यह दूसरों को पहनाने के लिए है। अच्छी सोच लेकर चलो, आप हर हाल में सफल बनेंगे, मधुर बनेंगे, प्रसन्न रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे। अच्छे बीज बोओ, अच्छी फसल आएगी। जीवन के खेतों में अच्छा डालोगे तो अच्छा पाओगे, बुरा डालोगे तो बुरा ही लौटकर मिलेगा। सकारात्मक सोच का पहला फार्मूला है – अच्छी सोच, अच्छा व्यवहार। ___ अगर कोई आपके साथ दुर्व्यवहार या ग़लत व्यवहार कर रहा है तो समझो कि कहीं कुछ गड़बड़ी हो गई है तभी तो उसका चित्त ठिकाने नहीं है और वह ढंग का व्यवहार नहीं कर रहा है। आप उल्टा मत सोचो, सीधा सोचो। गिलास को आधा खाली नहीं, हमेशा आधा भरा हुआ देखो। सकारात्मक सोच का सिद्धांत कहता है कि हमेशा गुण देखो, जो आपके काम आया है उसके उपकार को देखो।आपने क्या किया उसे भूल जाओ, पर अगले ने हमारा जो भला किया है, हमारी मदद की है, उसे मरते दम तक याद रखो। लेकिन होता यह है कि दो दिन पहले का दुर्व्यवहार तो याद रह जाता है पर पिछले तीन सालों तक उसने जो प्यार किया था, उसे हम भूल जाते हैं। तीन साल तक किया गया प्यार क्या दो दिन के दुर्व्यहार के कारण ख़त्म हो जाता है ? माँ के कुछ टेढ़ी बात कह देने से आज बेटा पत्नी के कहने पर अलग हो रहा है। अरे भाई, पच्चीस साल तक माँ ने तम पर जो उपकार किए हैं, अभी माँ के द्वारा कही गई एक छोटी-सी बात ने तुम्हें इतना झिंझ कि अलग घर बसा बैठे? अरे भाई, जो अपने माँ-बाप का नहीं होता वह अपनी बीवी का कैसे होगा? आज किसी ने अपकार किया तो क्या हुआ, कभी वह तुम्हारे बहुत काम आया हुआ है। उसने हमेशा आपको सहयोग और श्रद्धा दी है। आज अगर वह किसी कारणवश रुष्ट हो गया है तो कोई बात नहीं, अपनी ओर से सकारात्मक नज़रिया रखते हुए उसके सहयोगों का, श्रद्धा का स्मरण करते हुए उसकी रुक्षता को, नकारात्मकता को विसरा दीजिए। सकारात्मकता हमें सिखाती है कि हर काम मिल-जुलकर करो। रोटी अगर दो है और खाने वाले चार तो भी चिंता मत करो। जो है उसे भी मिल-बाँटकर खाओ।ऐसा समझें - पत्नी ने आम काटकर प्लेट में रखे और पति को दिए। पति ने दो-चार टुकड़े खाए और प्लेट सरका दी। पत्नी ने पूछा – 'क्या आम मीठा नहीं है ?' पति ने कहा – 'नहीं, नहीं, आम तो बहुत मीठा है, थोड़ा-सा तुम भी खा लो, बेटे को भी खिला दो और हाँ, रामू को भी दे देना। पत्नी ने कहा – 'अरे, ये तो आप ही के लिए हैं, उनके लिए और सुधार दूंगी।' पति ने जवाब दिया - 'देखो, अच्छी चीजें हमेशा बाँटकर खानी चाहिए।' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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