Book Title: Life ho to Aisi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 128
________________ नेगी। सकते हैं। आपका भाई अगर आपसे बिछुड़ चुका है, सास बहू अलग-अलग घर बसा चुकी हैं, बाप-बेटे अलग हो गए हैं, आपका केरियर नहीं बन पाया है, आपको विकास का रास्ता नज़र नहीं आ रहा है - आप केवल पाँच मिनट के लिए धैर्यपूर्वक अपनी मानसिकता को सकारात्मक बनाकर देखिए, आपको कोई-नकोई प्रकाश की किरण अवश्य मिल जाएगी।आपको आपके जीवन में प्रेम, शांति, समन्वय, सफलता का एक रास्ता अवश्य देने लग जाएगा। सकारात्मक सोच को तो मैं नवग्रह को साधने वाली अंगुठी मानता हूँ।आदमी अपने हाथ में खींची हुई लकीरों को मिटा तो नहीं सकता लेकिन अपनी मानसिकता को बेहतर बनाकर अभाव में भी स्वभाव का आनंद ले सकता है। मैं तो कहूँगा कि आप अपनी मानसिकता को बेहतर बनाएँ, आपकी भाग्य-दशा अवश्य बदलेगी। राहु और केतु की दशा भी अनुकूल बनेगी। ऐसा नहीं है कि मेरे सामने समस्याएँ नहीं आती हैं। कभी कोई नाराज़ भी हो सकता है। पहली बात तो यही है कि हम सपने में भी कभी किसी का बुरा नहीं चाहते। नम्रता और मधुरता तो हमारे लिए दो हाथों की तरह है। फिर भी प्रमादवश कभी कोई अनहोनी हो भी जाए तो चिंगारी को आग बनने जितना वक़्त नहीं देते। भले ही कोई हमें अपना दुश्मन समझे, पर हमारा सबसे प्रेम है। हमारा किसी से भी कोई वैर नहीं है। मैं विश्व-शांति और विश्व-प्रेम का हिमायती हूँ। मैं अपने विरोधियों से भी प्रेम, शांति और मिठास से बोलता हूँ। मैं जीसस की इस सकारात्मकता का कायल हूँ कि वे सलीब पर चढ़ाने की पैरवी करने वालों के प्रति भी यही उद्गार व्यक्त करते हैं - ईश्वर उन्हें माफ़ करे। दुश्मनों से भी प्यार से बोलना और उनके साथ मैत्रीभरा व्यवहार करना मेरी समझ से दुश्मनों को ख़त्म करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है। भला जब दुश्मनी ही नहीं रहेगी तो दुश्मन कहाँ से रहेगा! __ आप तो केवल एक परिवार या समाज से जुड़े हैं, हम तो हज़ारों लोगों और देश के भी हज़ारों परिवारों से जुड़े हैं। लोग आते हैं अपनी समस्या लेकर या हमसे जुड़ी समस्या लेकर किन्तु कोई भी हमारे पास से निराश नहीं जाता और न हम किसी को निराश होकर जाने देते हैं। भले ही वह रोते-रोते आए, पर जाता तो हँसते हुए ही है। आप भी हँसी को बाँटिए। ख़ुद भी मुस्कुराइए और दूसरों को भी मुस्कुराने का अवसर दीजिए। महावीर का शब्द है : 'जियो और जीने दो।' तुम ख़ुद भी जियो और दूसरों को भी जीना सिखाओ। हममें से हर किसी को हर दिन कम-से-कम दस लोगों को ज़रूर हँसाना चाहिए। जिसके एक हाथ में सकारात्मक सोच का मंत्र है और दूसरे हाथ में हर हाल में हँसते और मुस्कुराते रहने का महामंत्र है, वह दुनिया में किसी राजा-महाराजा से कम नहीं है। ___मनुष्य का दिमाग़ तो किसी उपवन की तरह है जिसमें से क्रोध, ईर्ष्या, तनाव और नकारात्मक विचारों की खरपतवार तथा कांटों को निकालकर फैंकना होगा और उस बाग में प्रेम, शांति, आनन्द और आत्मीयता के पुष्प खिलाने होंगे और सकारात्मकता का सौरभ फैलाना होगा। सकारात्मकता का सिद्धांत सिखाता है Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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