Book Title: Life ho to Aisi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 126
________________ है? हाँ, अगर हम जैसे लोग टूटे हुए, बिखरे हुए परिवारों को, समाजों को एक कर सकें तो यह हमारी ओर से नेक काम होगा। टूटे हुए दिलों को आपस में जोड़ना ही मेरा पहला पवित्र कार्य है। लोग आपस में जुड़ें, आपस में प्रेम करें, एक दूसरे से मधुर व्यवहार करें, अच्छी भाषा बोलें - बस, यही अपन सब लोगों का बुनियादी धर्म है। और यह सब केवल पॉज़िटिव थिंकिंग ही कर सकती है। ग़लत, उल्टा-सीधा, ऊँचा-नीचा बोलकर क्यों अपना और दूसरों का मन ख़राब करें? जब अच्छी सोच और अच्छी बोली के द्वारा देव बना जा सकता है तो फिर गंदी सोच और गंदी बोली के द्वारा प्रेत क्यों बना जाए। ___मैंने सुना है : एक शेर और एक भालू पानी पीने के लिए किसी छोटे तालाब पर पहुँचे। पहले पानी कौन पिए, इस बात पर दोनों झगड़ पड़े। दोनों की लड़ाई इतनी बढ़ गई कि वे हाँफने लगे। लड़ते-लड़ते साँस लेने के लिए जब वे पलभर रुके तो उन्होंने देखा कि कुछ गिद्ध उन दोनों में से किसी के मरने का इंतज़ार कर रहे हैं, ताकि वे उनका मांस खाकर अपना पेट भर सकें। इस नज़ारे को देखकर शेर और भालू ने लड़ना बंद कर दिया। उन्होंने एक दूसरे से कहा – गिद्धों और कौओं से खाए जाने से बेहतर यही है कि हम अपनी दुश्मनी छोड़ें और एक दूसरे के दोस्त बन जाएँ। आप भी दोस्ती का हाथ बढ़ाएँ। लड़ाई छोड़ें और मोहब्बत का पैग़ाम अपनाएँ। जब मैं सोच को सकारात्मक और प्रेमपूर्ण बनाने का अनुरोध कर रहा हूँ, वहीं मै यह भी अनुरोध कर देना चाहता हूँ कि थोट्स मैनेजमेंट के लिए व्यर्थ की कल्पनाएँ और ख्वाब देखना भी छोड़ें। हवाई कल्पनाओं से जीवन में कोई निर्माण नहीं होने वाला। आज की सोचो, आज को सार्थक करो। व्यर्थ की विचारधाराओं से बचो । मन तो इधर-उधर भागता ही रहता है। उस पर नियंत्रण करें, दस मिनिट ध्यान कर लें। अन्तर्मन को शांतिमय बनाने का प्रयत्न करें। बेलगाम चलने वाले मन को अनिद्रा का रोग सताएगा, चिंता सवार होगी, तनाव और अवसाद हावी होंगे। मन पर ब्रेक लगाएँ, बहुत हो गया अब, शांत हो जा रे मन । बहुत हो गया बोलना, अब शांत हो। जो सोचो, वह सार्थक हो, तभी सार्थक बोलना और सार्थक करना सम्भव होगा। शेखचिल्ली जैसे सपने मत देखो।खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है, जीवन में शैतानियत हावी न होने पाए। नेगेटिव विचारों को निकाल कर बाहर करें। फिर चमत्कार देखें - समाज में, परिवार में, विद्यालय में, केरियर में, व्यक्तित्व-विकास में । जब आप सकारात्मक सोचते हैं तो प्रत्येक के साथ बेहतर तरीके से पेश आते हैं। तब आप बेहतर व्यवहार करने में भी सफल हो जाते हैं। बेहतर सोच अपनाकर आप अपने साथ-साथ दूसरों का भी उपकार करते हैं । सास-बहू जो झगड़ पड़े हैं, केवल पांच मिनट के लिए आप अपने आप को पॉजिटिव बनाकर देखें। फिर देखिए चमत्कार! आप सोचें कि आप सास नहीं बहू हैं, फिर आपको पता चलेगा कि आप फ़ालतू ही बहू पर चिल्ला रही थीं। आपको लगेगा कि आप भी तो कभी बहू थीं। मेरी सास ने जो मेरे साथ किया, कम-से-कम मैं तो अपनी बहू 15 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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