Book Title: Life ho to Aisi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 112
________________ पीना कहीं अधिक सम्मानजनक है। ये हाथ किसी के सामने फैलाकर माँगने को तत्पर हों, उससे तो अच्छा है कि किसी के घर में जाकर झाड़-पौंछा लगाकर, स्वाभिमान का जीवन जीने को तैयार हों। __दया-दान की रोटी भिखारी या गौशाला के लिए रहने दीजिए, आप तो माँगने की बजाय ज्यूस निकालने का ठेला लगा लीजिए। एक काम कीजिए आप अपने घर के बाहर ही दो टेबल लगा लें, एक टेबल पर ज्यूस की मशीन लगा लें और दूसरी टेबल पर मौसमी की टोकरी रख लें। पहले दिन केवल दो किलो मौसमी खरीदकर लाएँ। एक महिने बाद आप पाएँगे कि आपकी दुकान में पचास ग्राहक आने लग गए हैं। केवल हज़ार-दो हज़ार रुपये में आपकी दुकान खुल जाएगी। अगर आपके पास वो दो हज़ार लगाने की ताक़त हो तो ठीक, नहीं तो मुझे उस सेवा का मौका दें, लेकिन माँगकर खाने की बजाय आप कमाकर खाएँ। कोई भी काम छोटा नहीं होता। याद रखो समाज में केवल पैसा पूछा जाता है। समाज में कोई भी यह नहीं पूछता कि पैसा तूने कैसे कमाया है। समाज में हर आदमी पेसे वाले को इज़्ज़त देता है। आप जीवन में धन कमाएँ। कमाने के लिए मेहनत कीजिए। श्रममेव जयते । आख़िर जीत श्रम की ही होगी। हर आदमी को चाहिए कि वह पैसा कमाए, मेहनत का पैसा कमाए और अगर आप ज्यूस की दुकान खोलकर बैठेंगे, तो हो सकता है कि आपके परिवार के दस लोग कह दें कि यह तो ग़रीब है, पापड़ बेलकर रोजी-रोटी कमाता है, पर ये व्यक्ति जो कह रहे हैं कि पापड़ बेलकर खाता है, पाँच साल बाद हालत यह होगी कि वही उससे कहेगा कि हब, पाँच हज़ार रुपया मुझे उधार दीजिए। यदि कोई व्यक्ति कड़ी मेहनत करता रहेगा तो यह मानकर चलें कि वह व्यक्ति अवश्यमेव सफल होगा और घर में निकम्मे बैठे को तो मक्खियाँ उड़ाना भी भारी लगेगा। अगर कोई शेर यह सोचकर बैठ जाए कि मैं तो अपनी गुफा में बैठा हूँ और मेरा भाग्य स्वत: मुझे मेरा आहार दे देगा तो शेर को भूखे मरना होगा। आख़िर भाग्य का परिणाम पाने के लिए भी आदमी को मेहनत करनी पड़ती है। बगैर मेहनत किए, बगैर पुरुषार्थ का उपयोग किए किसी को भी उसके प्रारब्ध का परिणाम नहीं मिलेगा। 'आप आलस्य का नहीं, मेहनत का जीवन जीएँ' – मेरी इस पंक्ति के आठ शब्दों में जीवन के सभी आठ मंगल समाए हैं । कड़ी मेहनत ही सफलता के रास्ते पर बढ़ने का पहला चरण है। सफलता के रास्ते पर बढ़ने का दूसरा स्टेप है : जो कुछ भी करें, उसे पूरे मन से, पूरी लगन से करें। लगन तो किसी भी कार्य-सिद्धि का मेरुदंड है। व्यक्ति अगर लगन के साथ काम करेगा तो काम निश्चय ही अपना परिणाम देगा। मन के साथ किया गया काम व्यक्ति के लिए सफलता का द्वार बन जाता है और बेमन से किया गया काम आदमी के पाँव की बेड़ी बन जाया करता है। जो कुछ भी करें पूरी लगन से करें, मगन से करें। आपने गीत सुना होगा कि 'मीरा हो गई मगन।' कैसे हुई थी मगन? जब लग चुकी थी लगन । जब आदमी को लगन लग जाती है, तो वह अपने-आप में मगन हो जाता है और सफलता को पाने के लिए जिस UEFA 111 www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only

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