Book Title: Life ho to Aisi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 66
________________ पता नहीं है, तब जोधपुर जितने बड़े शहर में आपकी कोठी-बंगले और कॉलोनी का क्या पता चलेगा ? अब उनकी हालत देखने जैसी थी। सारा गुमान एक ही झटके में ग़ायब हो गया। जीवन में गुमान व्यर्थ है। जीवन को हर हाल में ख़ुशी और मुक्ति देने वाला कोई तत्त्व है तो वह सहजता है । हर हाल में रिलेक्स । जब मैं कहता हूँ, 'ख़ुश होकर जीयो तो मैं यह भी कहूँगा कि अपने हर दिन की शुरुआत मुस्कान के साथ करो। जैसे ही सुबह आँख खुले तो एक मिनिट तक तबियत से मुस्कुराएँ । यह बड़ा प्रभावशाली विटामिन है । दिनभर तरोताज़ा रहने के लिए ज़ोरदार विटामिन है। जो कुछ भी नहीं कर पाते हैं, न ध्यान होता है, न योग करते हैं, न धर्म होता है, न पूजा होती है, न प्रार्थना करते हैं, उनसे भी यही कहूँगा कि सुबह उठकर एक मिनिट तक परिपूर्णता से मुस्कुराओ । आपका अंग-अंग मुस्कान से भर उठे। स्नान तो बाद में होगा, पर पहले ही अपने मन को तरोताज़ा कर लीजिए। जैसी आपकी मानसिकता होगी, वैसा ही आप व्यवहार करेंगे। जैसा व्यवहार होगा, वैसा ही व्यक्तित्व बनेगा । इसलिये सुबह उठकर पहला काम करें एक मिनट तक भरपूर मुस्कुराना। आप रोजाना सांस के साथ मुस्कुराने का पाँच मिनट तक ध्यान कीजिए। पहले हो सकता है मुस्कुराना नाटक लगे, पर धीरे-धीरे वही नाटक आपका नेचर बन जाएगा। आप हर हाल में मस्त रहना सीख जाएँगे। इससे आपका हर व्यवहार और पूरा व्यक्तित्व मुस्कुराते हुए फूल जैसा नज़र आएगा। मैं तो देखता हूँ कि आजकल लोग मुस्कुराना भूल गए हैं, तभी तो यहाँ-वहाँ हास्य क्लब चल रहे हैं। अरे, दिन भर ही मुस्कुराइए ताकि न तो लॉफिंग क्लबों में जाना पड़े और न हँसने का व्यायाम करना पड़े। एक बार सुबह उठकर मुस्कुराने से रात भर जो कोशिकाएँ सुप्त पड़ी थीं, वे तत्काल सक्रिय हो जाती हैं। रसोई घर प्रवेश करो तो दरवाजा बाद में खोलना, पहले मुस्कुराओ । दुकान खोलें तो गणपति जी को तो प्रणाम करोगे ही, पहले मुस्कुरा कर उनका अभिवादन कर देना और बाद में धूप अगरबत्ती लगाना । मुस्कुराते हुए ही ग्राहकों का स्वागत करें। थोड़ा-सा घाटा भले ही बर्दाश्त कर लो, पर ग्राहक को तोड़ो मत । ग्राहक तब तक राजी रहेगा जब तक आप उसके साथ राजी रहेंगे । बहिनों, आप भी ध्यान रखें कि जब पति घर पर आए तो उनके आते ही शिकायतों का पुलिंदा न खोलें बल्कि मुस्कुराकर उनका स्वागत करें। बच्चों, जब आप स्कूल से आएँ तो अपने बैग इधर-उधर न फैंकें, पहले मुस्कुराएँ और अपना सामान व्यवस्थित रखें। तब देखना कि आपकी मम्मी आपको ज़रूर प्यार करेगी और गरम-गरम खाना खिलाएगी। सास जी, ससुर जी, घर में घुसते ही झल्लाने की आदत छोड़ो। अगर बना सको तो स्वयं को विनोदप्रिय बना लो। जो विनोदप्रियता को अपनाते हैं, उनके घर का वातावरण हल्का रहता है, बोझिल नहीं होता। प्रेम से बहू से पूछो, बात करो। उसने जो भी खाना बनाया है, उसकी तारीफ़ करो । भले ही आपको पसंद न हो, सब्जी में नमक हो या न हो, तारीफ़ ज़रूर कर दो। हालांकि जब वह ख़ुद खाएगी तो जान ही जाएगी कि वास्तविकता क्या है ? विनोदप्रियता से सबके मूड अच्छे रहते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only LIFE 65 www.jainelibrary.org

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