Book Title: Leshya aur Manovigyan
Author(s): Shanta Jain
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 161
________________ संभव है व्यक्तित्व बदलाव 151 Self-actualization needs to find selffulfilment and realize . one's potential Aesthetic needs, symmetry, order and beauty Cognitive needs to know, understand and explore Esteem needs to achieve be competent and gain approval and recognition Belongingness and love needs to affiliate with others, be accepted and belong Safety needs to feel secure and safe, out of danger Physiological needs hunger, thirst and so forth जब सबसे अधिक शक्तिशाली और प्रमुख आवश्यकताएं संतुष्ट हो जाती हैं तो उसके बाद गौण आवश्यकताएं सामने आती हैं और सन्तुष्टि चाहती हैं। उनके संतुष्ट हो जाने पर फिर प्रेरणा के सोपान में एक कदम और आगे बढ़ती है। इस पूर्वापर क्रम में सबसे अधिक शक्तिशाली से न्यूनतम शक्तिशाली की ओर चलने में सबसे पहले शारीरिक आवश्यकताएं जैसे भूख और प्यास, फिर क्रमशः सुरक्षा, प्रेम, सम्मान, ज्ञानात्मक, सौन्दर्यात्मक और आत्मसाक्षात्कार की आवश्यकतायें आती हैं। प्रेरणाओं या आवश्यकता के इस क्रम में समाज-विरोधी या हानिकारक आवश्यकताओं के लिए कोई स्थान नहीं है। मैसलों के अनुसार मनुष्य केवल तभी समाज विरोधी कार्य करता है जबकि समाज उसकी आन्तरिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होने देता है। मैसलों के अनुसार मानव व्यक्तित्व का एक अधिक पूर्ण और व्यापक विज्ञान बनाने के लिये उन व्यक्तियों का अध्ययन आवश्यक है जिन्होंने अपनी आन्तरिक योग्यताओं का पूर्णतया साक्षात्कार किया है। मैसलों ने स्वयं ऐतिहासिक व्यक्तित्वों का अध्ययन किया था। उसने यह प्रतिपादित किया कि व्यक्ति आत्मसिद्धि प्राप्त करना चाहता है। यही उसकी Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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