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रंगध्यान और लेश्या
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केन्द्र
रंग
भावना/अनुभव
आनन्द केन्द्र हरा रंग विशुद्धि केन्द्र नीला रंग दर्शन केन्द्र अरुण रंग ज्ञान (चाक्षुष) केन्द्र पीला रंग ज्योति केन्द्र श्वेत रंग
भावधारा की निर्मलता वासनाओं का अनुशासन अन्तर्दृष्टि का जागरण-आनन्द का जागरण ज्ञानतंतु की संक्रियता (जागृति) परमशांति - क्रोध, आवेश, आवेग, उत्तेजनाओं की शांति
लेश्याध्यान : निष्पत्ति प्रेक्षाध्यान साहित्य में आचार्य महाप्रज्ञ ने लेश्याध्यान की निष्पत्ति बतलाई है - जो लेश्याध्यान में उतरता है वह निम्न उपलब्धियों से जुड़ता है - * चित्त की प्रसन्नता * धार्मिकता के लक्षणों का प्रकटीकरण * चरित्र की शुद्धि - संकल्प-शक्ति का जागरण
चैतन्य का जागरण - स्वस्थ और सुन्दर व्यवहार, प्रशस्त जीवन, प्रशस्त मौत कर्मतंत्र और भावतंत्र का शोधन
पदार्थ-प्रतिबद्धता से मुक्ति * तेजोलेश्या से - परिवर्तन का प्रारंभ, अपूर्व आनन्द, मानसिक दुर्बलता समाप्त
पद्मलेश्या से - मस्तिष्क और नाड़ीतंत्र का बल, चित्त की प्रसन्नता, जितेन्द्रियता * शुक्ललेश्या से - आत्म-साक्षात्कार
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