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नव स्मरण
विभिन्न धार्मिक क्रियाओं में एवं अन्य भौतिक शांति हेतु नव स्मरण का पाठ किया जाता है विशेषकर प्रतिष्ठा विधि आदि में तो अनिवार्य रूप से उभय काल किया जाता है ।
आज एक मान्यता यह भी है कि प्रतिष्ठा विधि आदि में देवी देवता उपद्रव न करे अतः इसके रक्षण का भी एक कारण माना जाता है ।
नव स्मरण में आने वाले सूत्रों में भौतिक सुख का वर्णन करने वाले कुछ उदाहरण यहां प्रस्तुत है ।
(1) नमस्कार सूत्र :
नवकार जो कि संपूर्ण आध्यात्मिक है वीतरागता से प्रेरित है नमस्कार करने का सूचित करता है ।
(2) उवस्सग्गहरं स्तोत्र :
यह तीर्थकर भगवंत पार्श्वनाथ से संबंधित है जिसमें
विसहर फुलिंग मतं कंठे धारेइ जो सयामणुओं तस्स गह रोग मारि दुट्ठ जरा जंति उवसामं ॥ अर्थ :विषधर फुलिंग मंत्र को जो मनुष्य धारण करता है उसके ग्रह, रोग, मरकी, दुष्ट, ताव, भय आदि शांत हो जाते है ।
(3) "संतिकरं " :
ॐ सनमो विप्पो सहि पत्ताणं संति सामि पायाणं झौं स्वाहा मंतेण सव्वा सिव दुरिह हरणाणं
ॐ संति तमुक्कारो खेलो सहि माइ लद्धि पत्ताणं सों हीं नमो सव्वो सहि पताणं च देइ सिरि
ॐकार सहित नमस्कार, विप्रोषधि नामक लब्धि को प्राप्त शांतिनाथ के चरण झों स्वाहामंत्र बीज से सर्व उपद्रव हरने वाले ॐकार सहित शांतिनाथ का नमस्कार लक्ष्मी को प्राप्त करता है । आगे रखंतु मम रोहिणी याने रोहिणी आदि सोलह देवियों से भी रक्षा का आवेदन किया
गया है ।
28 ) क्या यह सत्य है ?
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