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"प्रतिहार्यों का वर्णन"
1. अरहंत प्रभू की बैठक के ऊपर छटादार "अशोक वृक्ष" शोभायमान
2. भगवंत के दोनों और "पुष्प वृष्टि" करती ही दो देव प्रतिमायें स्थापित है
3. भगवंत के दोनों और "दिव्य ध्वनि" से सुशोभित दो देव प्रतिमायें स्थापित है।
4. भगवंत की पीठ तेजोमय “भामंडल" की कांती से प्रकाशमान है 5. भगवंत के दोनों और 'देवदुंदुभी' से दो देव प्रतिमायें सुसज्जित हैं
6. भगवंत के आसन के नीचे तेजस्वी सुंदर दो सिंह "सिंहासन" की पूर्ती करते खड़े है
7. भगवंतके दोनों तरफ बैठने की अवस्था से दुगुनी कांयवाले "चामरधारी" दो देव प्रतिमायें सुव्यवस्थित है ।
8. भगवान के मस्तक के ऊपर नील मणी युक्त "तीन छत्र" सुशोभित
एवम धर्मचक्र व धर्मध्वज अरहंत भगवंत की पुण्य विभूति में अभिवृद्धि करते दिखाई दे रहे है।
इस तरह अष्ट महाप्रात्याहार्य से सुशोभितजिनभूवन में देवाधिदेव अरहंत भगवंत की प्रतिकृति याने प्रतिमाजी विराजमान है।
उपरोक्त विवेचन, शांति से पढ़े देवाधीदेव की भक्ति के बहोने अज्ञानता वश हो रही आशातना से बचे यहीं शुभेच्छा सह ।
क्या यह सत्य है ? (43
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