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4. उपभोगांतराय : इस मंदिर में अरहंत भगवंत की प्रतिमाओं के मुकट आदि दागीना चढाने का भी निषेध है क्योंकि अरहंत भगवंत के उपभोगांतराय का क्षय हो चुका है।
5. वीर्यातराय : शासन रक्षक हेतू मंदिर में अन्य देवी-देवता की मर्तीये स्थापित करना भगवान के वीर्यांत राय का सूचक है अतः इस मंदिर में ऐसी कोई भी किसी भी देवी-देवता की मूर्ती स्थापित नहीं की जाती जो कि वाहन के उपर सवार हो या हाथ में हथियार हो एवम् किसी भी देवी देवता को शासन रक्षक नहीं कहा जाता कोई भी देवी देवता सेवक रूप में विनय मुद्रा में ही रह सकता है।
6. हास्य : अरहंत भगवंत शालाका पुरुष है अतः इस मंदिर में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं या द्रष्य नहीं की, कोई एक अरहंत भगवंत को मूलनायक बना दिया जाय जिसको उचे आसान पर बिठाया जाय व उसके पास ही दूसरे अरहंत भगवंत को कुछ निचे आसन पर बिठाया जाय, लघुता जैसा द्रश्य दिखाया जाय ऐसा हास्य इस में नहीं किया गया । जिस में एक के सन्मान में 23 का अपमान है।
.. 7-8. रति-अरति : अरहंत भगवंत अकेले बैठे-बैठे कंटाली जाय, बेचेन हो जाय और उस कंटाले के दुःख से अरति उत्पन्न न हो इसके लिये दो चार अन्य अरहंत भगवंत की प्रतिमायें साथ में बीठा दी जाय ताकि अरति न होकर रति याने खुशी उत्पन्न हो जाय । अरहंत भगवंत के मोहनीय कर्म का सर्वथा क्षय हो जाने से रति-अरति उत्पन्न होने का प्रश्न ही नहीं अत: इस मंदिर में ऐसा कोई द्रश्य नहीं रखा गया कि एक अरहंत भगवंत की प्रतिमा के पास दूसरे अरहंत भगवंत की प्रतिमा साथ में हो, समुह रूप में हो।
9. भय : अरहंत भगवंत के मोहनीय कर्म क्षय हो जाने से भय भी खत्म हो चुका, अतः इस मंदिर में कोई भी कार्य पूजा प्रतिष्ठा आदि या मंदिर निर्माण आदि में किसी भी तरह मुहरत देखकर काम नहीं किया गया, नहीं किया जाता कारण भय हो तो मुहरत देखना पड़े भय हे नहीं तो मुहरत की भी जरूरत नहीं अतः इस में मुहरत देखने का विधान ही नहीं रखा गया।
क्या यह सत्य है ? (39 For Private & Personal Use Only
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