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सम्पादकीय
कवीन्द्र रवीन्द्र की एक लघु कथा है
- ततैया और मधुमक्खी के बीच विवाद चल रहा था"दोनों में अधिक बलवान कौन है ?" अंत में ततैया ने खीझकर कहा – “हजार प्रमाण देकर मैं यह सिद्ध कर सकता हूँ कि मेरा डंक तेरे डंक से अधिक तीव्र है ।'
मधुमक्खी बेचारी क्या करती, पराजित होकर बैठ गई । वनदेवी को मधुमक्खी की उदासी सह्य नहीं हुई । उसने स्नेहपूर्वक मधुमक्खी के पंखों को सहलाकर कान में कहा-"तू उदास क्यों होती है बेटी ! डंक की तीव्रता में तू अवश्य पराजित है, पर मधुमयता में तुझे कौन पराजित कर सकता है ?"
कथा कहानियों के सम्बन्ध में भी यही बात कही जा सकती है । कल्पना की तीव्रता और अलंकारों की चमत्कृति में कहानी, काव्य से पराजित भले ही हो, किंतु अनुभूतियों की मधुमयता में कहानी सदा अपराजेय रही है ।
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