Book Title: Khartaro ke Hawai Killo ki Diware
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 5
________________ .. -: पत्र की पहुँच : नागोर में विराजमान प्रिय खरतरगच्छोय महात्मन् ! सादर सेवा में निवेदन है कि आप का भेजा हुआ पत्र मिला है । यद्यपि पत्र गुम नाम को है पर उसके हरफ देखने से व मजमून पढने से यह सिद्ध हुआ हैं कि यह पत्र आप का ही भेजा हुआ है। पत्र एक आने के लिफाफे में है लाल स्याही से कागद के दोनों ओर लिखा हुआ है । वह पत्र नागोर की पोष्ट से ता. ६-६-३७ को रवाना हुआ है ता. ७-६-३७ को पोपाड़ की पोष्ट से डिलेवरी हुइ हैं ता. ८-६-३७ को मुकाम तीर्थ कापरडा में मुझे मिला है। यह सब हाल लिफाफा पर लगी हुई पोष्ट ऑफिस की छापों से विदित हुआ है। प्रस्तुत पत्र एक बार नहीं पर तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ लिया है । जिस मजमून को आपने लिखा है उसको पढ़ कर मुझे किसी प्रकार का आश्चर्य नहीं हुआ है क्यों कि यह सब आप लोगों की चिरकालान परम्परा के अनु. सार ही लिखा हुआ है। पत्र में ११ कामों के अन्त में आपने लिखा है कि " तुम नागोर आओ, तुम्हारा बुाढ़पा यहीं सुधारा जायगा" इत्यादि । पर मेरा बदनसीब हैं कि आप का प्राग्रहपूर्वक आमंत्रण होने पर भी मैं नागोर नहीं पा सका। इस का खास कारण यह था कि आप का पत्र मिलने के पूर्व ही मैंने सोजत श्रीसंघ की अत्याग्रहपूर्वक विनति होने से वहाँ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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