Book Title: Khartaro ke Hawai Killo ki Diware
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 45
________________ आधुनिक खरतरे. ही यह कहते हैं कि ८४ गच्छों में जिनदत्तसूरि जैसा कोई प्रभाविक व्यक्ति हुआ ही नहीं, पर शेष गच्छवाले तो इन का कभी जिक्र ही नहीं करते हैं। जिनदत्तसूरि के समकालिक आचार्य हेमचन्द्रसूरिने परमाहत् कुमारपाल को जैन बना कर जैनधर्म की महान् प्रभावना की तब जिनदत्तसूरिने शासन में भयङ्कर विरोध उत्पन्न करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं किया। जिस का कटु फल आजतक जैनजगत् चाख रहा है । इस प्रकार प्रत्येक गच्छ में प्रभाविक आचार्य हुए है। खरतरों ! जरा समय को पहिचानो, सोच समझ कर बातें करो, तथा विवेक से लिखो, ताकि आज की जनता जरा आप की भी कदर करे; अन्यथा याद रक्खोः "विवेकम्रष्टानां भवति विनिपातः शतमुखः " दीवार नंबर १० कई खरतर लोग लिखते हैं कि दादाजी जिनदत्तसूरिने सिन्धदेश में जा कर पांच पीरों को साधे थे इत्यादि । समीक्षा-भगवान् महावीर के पश्चात् और जिनदत्तसूरि के पूर्व हजारों जैनाचार्य हो गुजरे, पर मुसलमान जैसे निर्दय पीरों की किसीने श्राराधना नहीं की, और मोक्ष मार्ग की आराधना करनेवाले मुमुक्षुओं को ऐसे निर्दय पीरों को साधने की कोई जरूरत भी नहीं थी, फिर जिनदत्तसूरि को हो ऐसी क्या गरज पड़ी थी कि वे पीरों की आराधना की थो ? और यदि की भी थी तो फिर वह किस विधि Ai. . . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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