Book Title: Khartaro ke Hawai Killo ki Diware
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 65
________________ इस के अलावा खरतरगच्छीय यतियोंने अपनी किताबों में अपने खरतरगच्छाचार्यो को ऐसे रूप में चित्र दिये हैं कि वे वर्तमान यतियों से अधिक योग्यतावाले सिद्ध नहीं होते हैं; क्यों कि उन्होंने किसी को यंत्र मंत्र करनेवाला, किसी को दवाई करनेवाला, किसी को कौतूहल ( तमाशा) करनेवाला, किसी को गृहस्थियों की हुण्डी सिकारनेवाला तो किसी को जहाज तरानेवाला, किसो को धन, पुत्र देनेवाला आदि २ लिख कर उनको चमत्कारी सिद्ध करने की कोगिश की है । पर जब थलो के लोग बिल्कुल ज्ञानशून्य थे तब वे इन चमत्कारों पर मुग्ध हो जाते थे। पर अब तो लोग लिख पढ़ कर कुछ सोचने समझनेवाले हुए हैं । अब वे ऐसी कल्पित घटनाओं से उल्टा नफरत करने लग गए हैं । इस विषय में विशेष खुलासा देखो " जैन जाति निर्णय" नामक पुस्तक । खरतरगच्छीय कितनेक क्लेशप्रिय साधु जिन में कि किसी के प्रश्न का उत्तर देने की योग्यता तो है नहीं, वे अपने अज्ञ भक्तों को यों ही बहका देते हैं कि देखो इस किताब में अमुक व्यक्तिने अपने दादाजी की निंदा की है। जैसे कि आज से १२ साल पहिले "जैनजाति निर्णय" नामक पुस्तक प्रकाशित हुई थी जिस के विषय में उसका कुछ भी उत्तर न लिख, पक्षपाती लोगों में यह गलतफहमी फैला दी कि इस में तुम्हारी निन्दा है, परन्तु जब लोगोंने प्रस्तुत पुस्तक पढी तो मालूम हुआ कि इस में खरतरगच्छीय आचार्यों की कोई निदा नहीं; पर आधुनिक लोगोंने खरतरगच्छीय प्राचार्यो के विषय में कितनीक अयोग्य घटनाएँ घड़ डाली हैं उन्हीं का प्रतिकार है । और वह भी ठीक ऐतिहासिक प्रमाणों द्वारा किया गया है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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