Book Title: Khartaro ke Hawai Killo ki Diware
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

View full book text
Previous | Next

Page 67
________________ न मचाना, अपितु शान्ति से इस पु क्योंकि प्रमाणों के प्रश्न असभ्य श या व्यक्तिगत निन्दा से हल न हो ही हल होंगे । यदि आप अपनी असभ्यता से पेश आएँगे तो याद मिथ्या लेख लिखने का कलंक क विषय में भविष्य में जो आपक होंगी- अतएव उसके प्रेरक कारण को पहिले ठीक सोच समझ के अन्त में मैं अखिल खरतर पूर्वक यह प्रार्थना करूंगा कि यह सक्षिप्त समीक्षा की है। प्रमाणों द्वारा समाधान करेंगे तं उपकार समभुंगा । और शायद जा रहा हू तो आप सत्य प्रमा करें जिस से उस गलत मार्ग मार्ग को स्वीकार कर लूंगा; व पर संशोधक हूँ । मात्र आप मिलने की ही देर है । मैंने जो उद्देश्य और शुभ भावना से आप भी इस के उत्तर में जो लिखें कि केवल मेरे पर हो आप का कब्जा हो जायँ । लिखने पर भी आप मैसे हो तो उसके लिए मैं साग्रह लेख कों यहीं समाप्त करदेत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68