Book Title: Khartaro ke Hawai Killo ki Diware
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 68
________________ आशा है, इस एकदम चौक उठेंगे, कावोंगे, पर मेरे खय एवं श्रावक इतने अज्ञ आद्योपान्त पढे वे मा अपना अहित करने का मैंने मेरो किताब पर किसी गच्छ के - कि किसी गच्छ के धर्म की प्रभावना की है / हाँ-आधुनिक कई मिथ्या घटनाओं को उन उनकी हँसी करना चाहता से हो विरोध था और व्यक्तियों के मिथ्यालेख पूर्वाचार्यो की निन्दो कार नहीं है मैं उन मिथ्या पक्षपाती र खरतरोंका अन्याय में थोड़ो भी शक्ति और प्रतिबिंब की हुइ समीक्षाओ का ! 21 बस, आज तो मैं देता हूँ और विश्वास के लिए खरतरों की ओर भविष्य में ऐसी 2 अने की सेवा करने में अपने प्यारे खरतरों ! पूर्व उखड़ नहीं जाना, तथा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 'www.umaragyanbhandar.com

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