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निर्णय" "ओसवालोत्पत्ति विषयक शंकाओं का समाधान "
और "जैन जातियों के गच्छों का इतिहास" नामक पुस्तकें मंगाकर पढिये । उनसे स्वतः स्पष्ट हो जायगा कि श्रोसवाल किसने बनाये है ?
यदि कई अज्ञ श्रोसबाल अपने मूल प्रतिवोधक आचार्यों एवं गच्छ को भूल कर खरतरों के उपासक बन गए हो और इसीसेही कहलाता हो कि श्रोसवाल खरतरोंने बनाए हैं ?। यदि हाँ, तब तो दुढिये तेरहपन्थियो को ही प्रोसवाल बनानेवाले क्यों न मा लया जाय-कारण कई अज्ञ ओसवाल इनके भी उपासक हैं ।
खरतरों ! अबीतक आप को इतिहास का तनक भी ज्ञान ही नहो यही कारण है कि ऐसे स्पष्ट विषय को भी अड्गबड़ग कह कर अपने हृदय के अन्दर रही हुई द्वेषाम्नि को बाहिर निकालकर अपनी हांसी करवा रहे हो।
भाईयों ! अब केवल जबानी जमा खर्च का जमाना नहीं है । आज की वीसर्वी शताब्दी इतिहास का शोधन युग है। यदि आप को अोसवालों का स्वयंभू नेता बनना है तो कृपया ऐसा कोई प्रमाण जनता के सामने रक्खो ताकि समग्र प्रोसवाल जाति नहीं तो नहीं सही पर एकाद श्रोसवाल तो किसी खरतराचार्य का बनाया हुआ साबित हो सके।
(१६) कई खरतर लोग जनता को यों प्रम में डाल. रहे हैं कि ८४ गच्छों में सिवाय खरतराचार्यों के कोई भी प्रभाविक आचार्य नहीं हुआ है। जैन समाज पर एक खरतराचार्यों का ही उपकार है । इत्यादि।
समीक्षा खरतरो! आप को इस बात के लिए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com