Book Title: Khartaro ke Hawai Killo ki Diware
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 38
________________ ३६ ॥ १४४ ॥ तद्ध्यानं पारयामास, जीवदेवप्रभुस्ततः ॥ पूजको झल्लरी नादान्महास्थानममेलयत् विस्मिताः ब्राह्मणाः सर्वे मतिमूढास्ततोऽवदन् ॥ तदा दध्युरयं स्वप्नः सर्वेषाञ्च मतिभ्रमः " प्रभाविक चरित्र पृष्ठ ८७ ।। १४५ ।। उपर्युक्त प्रमाण से स्पष्ट सिद्ध है कि गायकी घटना जिनदत्तसूरि के साथ नहीं पर वायट गच्छीय जिनदत्तरि के पट्टधर जीवदेवसूरि के साथ घटी थी जिस को खरतरोंने अपने जिनदत्तसूरि के साथ जोड कर दादाजी की मिथ्या महिमा बढाइ है | क्या खरतर इस विषय का कोई भी प्रमाण दे सकते हैं जैसा प्रभाविक चरित्र का प्राचीन प्रमाण दिया हैं | हमने x X X X X दीवार नंबर ६ कई खरतरों का यह भी कहना है कि दादाजी जिनदत्तसूरिने विजली को अपने पात्र के नीचे दबाकर रख दी, और उससे वचन लिया कि मैं खरतरगच्छवालों पर कभी नहीं पहूँगी । इत्यादि । समीक्षा:- -प्रथम तो इस कथन में कोई भी प्रमाण नहीं है, केवल कल्पना का कलेवर ही हैं। दूसरा यह कथन जैसा शास्त्रविरुद्ध है वैसा लोकविरूद्ध भी हैं; क्योंकि बिजली के अग्नि काया की सत्ता है वह काष्ठ के पात्र के नीचे अन्दर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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