Book Title: Kashayjay Bhavna
Author(s): Kanakkirti Maharaj
Publisher: Anekant Shrut Prakashini Sanstha

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Page 7
________________ n ari---.. NA. . . - -. ***珠光来来来来来来来来来来来来米米米米米米类米米米 कमायजय-भावना ******** ※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※ इति कनककीर्तिमुनिना कषायजयभावना प्रयत्नेन । भव्यजनचित्तशुद्धयै विनयेन समासतो रचिता ||४१|| * अर्थ - इसप्रकार कनककीर्ति मुनि के द्वारा बड़े ही प्रयत्न से भव्य जीवों की * चित्तशुद्धि के लिए कषायज्ञय-भावना ग्रंथ की संक्षेप से रचना की गई है। * मूल ग्रंथ की पाण्डुलिपि कानड़ी भाषा में है। अतः मेरा अनुमान है। * कि इस ग्रंथ की रचना दक्षिण भारत के कर्नाटक प्रान्त में ही हुई होगी। कनककीर्ति महाराज का नाम स्वाध्यायप्रेमियों में भी अपरिचित-सा है। * यही कारण है कि मुझे उनका परिचय प्राप्त नहीं हो सका। ग्रंथ की भाषा - ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है। यद्यपि संस्कृत परिष्कृत भाषा होने से अत्यन्त कठिन भाषा है तथापि इस ग्रंथ में भाषिक कठिनता का अनुभव नहीं होता। इस लघुकाय ग्रंथ में दृष्टान्त शैली का भी पूर्ण प्रयोग किया गया है। भावना ग्रंथ में होने वाली साहजिकता इस ग्रंथ पायी जाती है। पठन और पाउन की दृष्टि से यह ग्रंथ अत्यन्त सरल है। मैं कोई उच्चकोटि का भाषाविज्ञान नहीं हूँ। मुझमें आगम का *तलस्पर्शी ज्ञान भी नहीं है। केवल अपने आवश्यकों की परिपालना हेतु * P स्वाध्याय करने के क्रम में संघस्थ दोनों माताजी को पढ़ाने के लिए ही इस अनुवाद का कार्य किया था। दोनों माताजी के आग्रहवश ही इसका प्रकाशन * हो रहा है। कृति में किसी भी प्रकार की त्रुटि रह गयी हो तो पूज्य साधुवर्ग और श्रेष्ठ विद्वद्वर्ग उसे संशोधित करने का कष्ट करें। इस ग्रंथ को पढ़कर एक भी साधक कषायों पर विजय प्राप्त करने के लिए उद्यत हो जाय, तो मेरा श्रम सार्थक हो जायेगा। अन्त में समस्त सहयोगियों को आशीर्वाद।। 米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米***********※ मुनि सुविधिसागर 米米米米米米米米米米米米米米 ***KAKKKKKHI JHAKHAIREX*

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