Book Title: Kashayjay Bhavna
Author(s): Kanakkirti Maharaj
Publisher: Anekant Shrut Prakashini Sanstha

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Page 36
________________ 张张法来来来来来宗荣华来来来来来来来来来来来来来来来来 कषायजय-भावना * है। उस कथा को जानकर तथा लोभ कषाय के दुष्परिणामों का अच्छीतरह * विचार करके लोभ का परित्याग करना चाहिये। पिण्याकगन्ध की कथा 法米法来来来来来来来来来来来来来来来来来来 कांपिल्य नगर में पिण्याकगन्ध नामक सेठ रहता था। वह अत्यन्त र . मूर्ख एवं लोभी था। उसकी पत्नी का नाम सुन्दरी एवं पुत्र का नाम विष्णुदत्त था। एक दिन तालाब को खोदते हुए एक मजदूर को सोने की सलाइयों से * भरी हई लोहे की संन्द्रक मिल गई। मजदूर ने सोने की सलाइयों को लोहे || की समझ कर सेठ जी के पास ले जा कर बेच दी। सेठ ने धीरे-धीरे अठ्ठानवें सलाइयाँ लोहे के भाव में ही खरीद ली। एक दिन सेठ जी को * किसी आवश्यक कार्यवशात् दूसरे गाँव को जाना पड़ा। जाते-जाते उसने | अपने पुत्र को अपने पास बुलाकर तथा उसे एक स्वर्णसलाई दिखाकर कहा * " बेटा ! इस तरह की सलाई बेचने के लिए कोई आवे तो तुम उसे खरीद लेना।" मजदूर सलाई बेचने के लिए पिण्याकगन्ध की दुकान पर आया। * विष्णदत्त ने उसे खरीदने से इन्कार कर दिया। मजदूर जब पुनः लौट रहा है था, तो उसे राजसैनिक ने पकड़ लिया। राजपुरुष ने मजदूर से सलाई छीन * ली और उसी सलाई के द्वारा वह जमीन खोदने का कार्य करने लगा। काम Re करते-करते सलाई के ऊपर लगा हुआ मैल निकलने लगा। उस पर लिखे हुए शब्द साफ दिखाई देने लगे। उस पर लिखा हुआ था कि सन्दूक में सौ | सलाइयाँ हैं। राजपुरुष ने मजदूर को सन्दूक के बारे में पूछा। घबराये हुए मजदूर ने सारी हकीकत उगल दी। राजपुरुष ने उसे राजा के समक्ष * उपस्थित किया। राजा के पूछने पर मजदूर ने कहा कि मैंने एक सलाई जिनदत्त सेठ को तथा अट्ठानवें सलाइयाँ सेठ पिण्याकगन्ध को बेची हैं। राजा ने जिनदत्त सेठ को बुलवाया। सेठ ने कहा " राजन् ! यह बात सही * * है कि मैंने एक सोने की सलाई को लोहे की समझकर खरीद लिया था,* परन्तु जब सत्य का पता चला, तब मैंने खरीदना बन्द कर दिया। मैंने उस *एक सलाई के सोने की जिनप्रतिमा बनवाकर मन्दिर में विराजमान कर दी है।" उसके उत्तर से संतुष्ट हुए राजा ने उसे ससम्मान विदा किया। 染米米米米米来米米米米米米米米米米米米米米****米米米米米米米米米米米米*求米米米米米米 |*** *** * * * *

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