Book Title: Karmastava Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal Publisher: Atmanand Jain Sabha View full book textPage 8
________________ * सूचना * -~-servedansar-- इल पुस्तक के आरम्भ में जिन महानुभाव का फोटो है वे जैनसमाज के श्रीमानों में से एक है। श्राजीमगंज के प्रतिष्ठित रईस है । कर्मग्रन्थ के इस अनुवाद में उनकी उदारता का उपयोग किया गया है। एतदर्थ हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। आगे के कर्मग्रन्थों के अनुवाद तैयार हो रहे हैं तथा अप भी रहे हैं । इस लिये जो,भगवान् महावीर की वाणी के उपासक अपनी चञ्चल लक्ष्मी का सदुपयोग करना चाहें घह हमें सूचना देवे जिससे कि पवित्र ग्रन्थों के सर्वप्रिय अनुवाद-कार्य में उन की लक्ष्मी का उपयोग किया जाये । इस का मूल्य लागत से भी कुछ कम ही रक्खा गया है। कागज, छपाई श्रादि सब वस्तुओं की अप्ति अधिक महँगी के कारण खर्च अधिक होता है। हमारा उद्देश सस्ते में धार्मिक साहित्य का प्रचार करना है । जहाँ तक संभव है हम अपने उद्देश की और पूर्ण लक्ष देते हैं। श्रापका श्रीमात्मानंद जैन पुस्तक प्रचारक मंडल रोशन मोहल्ला भागरा. तभी.Page Navigation
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