Book Title: Karm Darshan
Author(s): Kanchan Kumari
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 6
________________ आशीर्वचन आचार्यश्री तुलसी के अनुसार जैनदर्शन में वैज्ञानिक तत्त्वों की भरमार है। उन पर विशेष लक्ष्य के साथ रिसर्च हो तो बहुत लाभ की संभावना है। क्योंकि यह विज्ञान के बहुत निकट है। अपेक्षा है वैज्ञानिकता के साथ इसके प्रस्तुतीकरण की । जैन दर्शन के आधारभूत तत्त्व चार हैं- आत्मवाद, कर्मवाद, लोकवाद और क्रियावाद । इन तत्त्वों को समीचीन रूप से समझने वाला जैन दर्शन को भली-भांति समझ सकता है। साध्वी श्री कंचनकुमारीजी ने आचार्यश्री तुलसी की प्रेरणा से जैन तत्त्वज्ञान का विशेष अध्ययन किया। उन्होंने कर्मवाद को गहराई से पढ़ने का प्रयास किया । इस विषय में बोलना और लिखना शुरू किया। लोगों की अभिरुचि ने उनको व्यवस्थित रूप में कुछ लिखने के लिए प्रेरित किया। उसकी निष्पत्ति है कर्म-दर्शन । प्रस्तुत पुस्तक जैनदर्शन या कर्मवाद के जिज्ञासु पाठकों की जिज्ञासाओं के समाधान में सहायक बनेगी, ऐसा विश्वास है । साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा नई दिल्ली, महरौली अध्यात्म साधना केन्द्र 24/7/2014

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