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कल्याण - मन्दिर स्तोत्र भाषा
दोहा
परम ज्योति परमात्मा, परम ज्ञान-परवीन । वन्दू परमानन्दनमय, घट-घट अन्तर लीन ।।
चौपाई १५ मात्रा
निर्भय-करन परम परधान । भव-समुद्र-जल तारन यान ।
शिव-मन्दिर अघ - हरन अनिन्द । वन्दहँ पास - चरन अरबिन्द ।।
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२ :
कमठ-मान-भंजन वर वीर । गरिमा-सागर गन-गम्भीर ।।
सुरगुरु पार लहै नहिं जास। मैं अजान अँपू जस तास ।।
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