Book Title: Kalyan Mandir
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 92
________________ चिन्तामणि-पार्श्वनाथ सततेन्द्रिय - गोप यथा कमळं, कमठासुर - वारुण हठहेलित कर्मकृतान्त - बलं , बलधाम दलंदल मुक्तहठम् । पंकजलम् ।। जलज • द्वयपत्र प्रभा • नयनं, नयनंदित भव्य - तरीशमनम् । महीरह वह्निसमं , समतागुण - रत्नमयं परमम् ॥ परमार्थ-विचार सदा कुशलं , . कुशलं कुरु मे जिननाथ अलम् । अलिनी नलिनी - नल नीलतनु, तनुता प्रभु पार्श्वजिनं सुधनम् ॥ : ७ : . सुधन - धान्यकरं करुणापरं , परमसिद्धिकरं दददादरम् । वर - तरु अश्वसेन - कुलोद्भवं , भवभृतां प्रभु पार्श्वजिनं शिवम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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