Book Title: Kalyan Mandir
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra
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श्री पद्मावती स्तोत्र
कूजत्कोदण्ड - काण्डोड्डमर- विधुरित
क्रूर - घोरोपसर्ग। दिव्यं वज्रातपत्र प्रगुणमणिरणत्
किङ्किणी • क्वाण रम्यम् भास्वद् वैडूर्य - दण्डं मदनविजयिनो,
विभ्रतो पार्श्व - भर्तुः ! ‘सा देवी पद्महस्ता विघटयतु महा
डामरं मामकीनम् ।।
भृगी काली कराली परिजनसहिते !
चण्डि; चामुण्डि; नित्ये ! क्षां क्षीं सूक्षों क्षणाद्धं क्षतरिपुनिवहे !
ह्रीं महामन्त्र - वश्य ! भ्रां श्रीं भ्र. भृग-संग भ्रकुटि-पुटतट
. त्रासितोद्दाम - दैत्ये ! नां लीं स्तनों प्रचण्डे ! स्तुतिशतमुखरे !
रक्ष मां देवि पद्म !!
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