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चिन्तामणि-स्तोत्र
कि कर्पूर-मयं सुधारसमयं किं चन्द्ररोचिर्मयं, किं लावण्यमयं महामणिमयं कारुण्यकेलीमयम् । विश्वानन्दमयं महोदयमयं शोभामयं चिन्मयं,
शुक्लध्यानमयं वपुजिनपतेभू याद् भवालम्बनम् ॥ ... भगवान पार्श्वनाथ का शरीर अत्यन्त सुन्दर और दिव्य था। जिनपति भगवान पार्श्वनाथ का शरीर संसार के प्राणियों के लिए आलम्बनरूप था।
___ कैसा दिव्य था, वह शरीर ? कपूर से भी अधिक धवल था, सुधा से भी अधिक सरस था, चन्द्रकान्तमणि के समान शीतल और प्रकाशमय था, महामणि के समान उसका लावण्य था, वह साकार करुणामय था, विश्व के समस्त प्राणियों को आनन्द देनेवाला था, वह मंगल और सुख देनेवाला था, ज्योतिर्मय एवं सुषमामय था और साक्षात् शुक्ल-ध्यानरूप था।
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