Book Title: Kalyan Mandir
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 80
________________ उपसर्ग-हर स्तोत्र ७३ उपसर्गहर स्तोत्र पर विविध मन्त्रों का एक कल्पग्रंथ भी है। परन्तु उपसर्गहर का मूल मन्त्र वह है, जिसका उल्लेख स्तोत्र की दूसरी गाथा में 'विसहर फुलिंग मंतं' के रूप में किया है। इसी गुप्त मन्त्र का स्पष्ट उल्लेख आचार्य मानतुंग अपने 'नमिऊण स्तोत्र' के अन्त में करते हैं। पाठकों की जानकारी के लिए यह मन्त्र इस प्रकार है ___ 'नमिऊण पास विसहर वसह जिण फुलिंग।' उपसर्गहर-स्तोत्र और उसका उपर्युक्त बीज मंत्र बड़े ही चमत्कारपूर्ण माने जाते हैं। साधक के हृदय में श्रद्धा का बल हो, तो प्रभु का प्रत्येक नाम मन्त्र है। आशा है, पाठक श्रद्धा-सहित उपसर्गहर-स्तोत्र का पाठ कर अपने को तथा अपने जीवन को सफल बनाएँगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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