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कल्याण-मन्दिर स्तोत्र सिंह और गज का भी भय नहीं रहता। भगवान् के भक्त सब प्रकार के भयों से मुक्त रहते हैं।
१० गीर्वाण-द्र म-धेनु-कुम्भमणयस्तस्याङ्गणे रिङ्गिणो, देवा-दानव-मानवाः सविनयं तस्मै हितं ध्यायिनः । लक्ष्मीस्तस्य वशाऽवशेव गुणिनां ब्रह्माण्ड-संस्थायिनी, श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथमनिशं संस्तौति यो ध्यायति ।।
भगवान् चिन्तामणि पार्श्वनाथ का जो भक्त शुद्ध - हृदय से प्रतिदिन उसकी स्तुति करता है और ध्यान
करता है, उसके घर के आंगन में सदा कल्पवृक्ष, कामधेनु, कामकुम्भ और चिन्तामणिरत्न अठखेली करते रहते हैं। उस भक्त को दानव कभी भय नहीं देते, देव सदा उसकी सहायता करते हैं और मनुष्य सदा उसकी सेवा करते हैं।
भगवान् पार्श्वनाथ के भक्त के घर में सदा लक्ष्मी का वास रहता है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की लक्ष्मी उसके वश में हो जाती है। उस भक्त के सभी संकल्पों की और मनोरथों की पूर्ति हो जाती है ।
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