Book Title: Kalyan Mandir
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra
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६८
सुन्यो कान जस पूजे नैनन देख्यो रूप
महाराज पतित- उधारक
: ३८ :
पाय ।
सुरगण वंदित जग तारक जगपति
कल्याण मन्दिर स्तोत्र
कर्म निकन्दन महिमा सार । अशरण - शरण सुजस विस्तार ॥
-
अघाय ||
भक्ति हेतु न भयो चित चाव । दुःखदायक किरिया बिन भाव ॥
: ३६ :
शरणागत- पाल ।
दीन दयाल ||
सुमरन करहुँ नाय निज शीश । मुझ दुःख दूर करहु जगदीश ||
: ४० :
नहि सेये प्रभु तुमरे पाय | मुझ जन्म अकारथ जाय ||
तो
: ४१ :
दयानिधान ।
अनजान ||
ते मोहि निकासि ।
दुःख - सागर निर्भय थान देहू सुख - रासि ।।
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