Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mukti Vimal Jain Granthmala
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व्याख्या-उसभस्सणं अरहओ कोसलिअस्स चउरासिइ गणा इत्यादितो.......जाव भदाणं | उक्कोसिया संग्या हुन्थति यावत् त्रयोदश सूत्री स्पष्टा–२१२-२१२-२१३-२१४-२१५-२१६-२१७ २१८-२१९-२२०-२२१-२२२-२२३-२२४-२२५ उसभस्स ण अरहओ दुविहा अंतगडभुमी हुत्था, तं जहा-जुगंतगंडभुमी य परियायंतगडभुमी य जाव असंखिज्जाओ पुरिसजुगाओ जुगतगडभुमी अंतोमुहुत्तपारयाए अंतमकासी ॥२२६॥
व्याख्या-उसभस्स णमित्यादित अंतमकासीत्यन्तम् तत्र युगान्तकृभूमिरसङ्खयेयपुरुषयुगानि,भगवन्तोऽन्वयेन सिद्धानि पर्यायान्तकृभूमिस्तु प्रभो केवले उत्पन्ने अन्तर्मुहूर्तेनमरुदेवानाकृत्केवलितां प्राप्तेति
तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभे अरहा कोसलिए वीसं पुब्बसयसहस्साई कुमाखासमझे वसित्ता, तेवृष्टिं पुब्बसयसहस्लाइं रज्जवासमझे वसित्ता, तेसिइं पुव्वसयसहस्साई अगारवासमझे मित्ता, एगं वाससहस्सं छउमत्थपरियागं पाउणित्ता, एगं पुव्वसयसहस्सं वाससहस्ससुणं केवलिपरियागं पाउणित्ता, संपुन्नं पुवसयसहस्सं सामन्नपरियागं पाउणित्ता, चउरासीई पुव्वसयहसस्साई सव्वाउयं पालइत्ता, खीणे वेयणिज्जाउयणामगुत्ते इमीसे
ओसप्पिणीए सुसमदुस्समाए समाए बहुविइकताए तिहिं वासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं जे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे माहबहुले ( ग्रं. ९००) तस्स णं माहबहुलस्स तेरसी

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