Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 13
________________ पच्चोरुहर, पच्चोरुहित्ता वेरुखिय-वरिहरिठंजण-निजणोवि (वचि) अ-मिसिमिसिंत-मणिरयणमंमिश्र पाउया उमुअर, उमुश्त्ता एगसाडिअं उत्तरासंगं करेइ, करित्ता अंजलिमलिअग्गहने तिबयरानिमुहे सत्तष्पयाइं अणुगबइ, सत्तघ्पयाई अणुगचित्ता वाम जाणुं 'अंचइ, अंचित्ता दाहिणं जाणुं धरणिअखंसि साइट्ट तिरकुत्तो मुशहाणं धरणियलंसि । निवेसेइ, निवेसित्ता ईसिं पञ्चन्नमइ, पञ्चुन्नमित्ता कडगतुडिअर्थनिआउं जुआऊ साहरेश सादरित्ता करयलपरिग्गदिअं दसनदं सिरसावत्तं मबए अंजलिं कट्ट एवं वयासी ॥ १४ ॥ नमुबु णं अरिहंताणं जगवंताणं, आगराणं तिबयराणं सयंसंबुझाणं, पुरिसुत्तमाणं पुरिससीदाणं, पुरिसवरपुमरीयाणं पुरिसवरगंधदबीणं, लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगदियाणं लोगपश्वाणं लागपजाअगराणं, अनयदयाणं चरकुदयाणं मग्गद १ अंचेइ २ साहरइ For Private Personal Use Only Rainelibrary.org

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