Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 93
________________ * च वाससहस्साई नव वाससयाई विश्वंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीश्मे * संवचरे काले गबइ ॥ १७ ॥१५॥ । 'अरस्स' णं अरद जाव सबकप्पहीणस्स एगे वासकोडिसहस्से विश्कते, सेसं . जहा मल्लिस्स-तं च एयं-पंचसहिं लरका चनरासीई वास सहस्सा विश्वंता, तमि समए महावीरो निबुर्ज, त परं नव वाससया विश्कता दसमस्स य वाससयरस अयं असीश्मे संवबरे काले गह। एवं अग्ग जाव सेयंसो ताव दध्वं ॥ १७ ॥१७॥ | 'कुंथुस्स' णं अरदर्ज जाव सबउकप्पहीणस्स एगे चउनागपलिउँवमे विश्कते, पंचसहि वाससयसहस्सा, सेसं जदा मल्लिस्स ॥ १५॥१७॥ | संतिस्स णं अरदउँ जाव सबस्कप्पहीणस्स एगे चउन्नागूणे पलिवमे विश्कते पन्नाहिं च, सयसहस्सा सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १० ॥१६॥ १ सहस्साई Jain Education tonal For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142