Book Title: Kalpasutra Moolpath
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai

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Page 126
________________ कल्प० ****** ॥६॥ *********** स्सिवेयावच्चेण वा, गिलाणवयावच्चेण वा, खुड्डएण वा खुड्डियाएण वा अवंजणजायएण|| बारसो. वा ॥२॥ वासावासं पजोसवियस्स चवन्नत्तियस्स निरकुस्स अयं एवश्ए विसेसे-जं से पा निकम्म पुवामेव वियडगं जुच्चा पिच्चा पमिग्गदगं संलिदिय संपमङिय से य संथरिजा, कप्प से तदिवसं तेणेव नत्तणं पड़ोसवित्तए-से य नो संथरिजा, एवं से कप्प उच्चपि गादावश्कुलं लत्ताए वा पाणाए वा निकमित्तए वा पविसित्तए वा ॥३॥वासावासं पजोसवियस्स बहनतियस्स निरकुस्स कप्पंति दो गोअरकाला गादावश्कुलं लत्ता*एवा पाणाए वा निकमित्तए वा पविसित्तए वा॥२॥वासावासं पङोसवियस्स अम्मन्न*त्तियस्स निकुस्स कप्पंति तर्ज गोअरकाला गादावश्कुलं नत्ताए वा पाणाए वा निरक*मित्तए वा पविसित्तए वा॥२३॥वासवासं पजोसवियस्स विगिहन्नत्तियस्स निरकुस्स क पंति सवेवि गोअरकाला गादावश्कुलं नत्ताए वा पाणाए वा निकमित्तए वा पविसित्तए । वा ॥२४॥ वासावासं पजोसवियस्स निच्चन्नत्तियस्स निरकुस्स कप्पंति सवाइं पाणगाई ॥६ ॥ ****** JainEducation International For Private Personal Use Only

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